November 22, 2024

गोपालपुर में 10 हेक्टेयर में बनेगा पहला फूड पार्क, लघु उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा

कोरबा 28 अगस्त। जिले के पांचों ब्लॉक में फूड पार्क बनाने की योजना अब जाकर आगे बढ़ी है। गोपालपुर में 10 हेक्टेयर जमीन मिलने के बाद उसे छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को सौंप दिया है। जमीन का सीमांकन होने के बाद डेवलपमेंट का काम शुरू हो जाएगा। पाली, करतला और पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक में भी 25-25 एकड़ जमीन चिन्हित हो चुकी है। उसे जिला उद्योग केंद्र को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया चल रही है।

फूड पार्क बनाने की योजना 3 साल से चल रही है, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। कटघोरा ब्लॉक के गोपालपुर में जमीन मिल चुकी है। इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन यहां पानी, बिजली और सड़क की सुविधा डेवलप करेगी। छोटे-छोटे प्लाट भी काटे जाएंगे। इसके बाद आवंटन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। अगले महीने तक करतला ब्लॉक की चांपा में चिन्हित जमीन भी मिल जाएगी। पोड़ी.उपरोड़ा ब्लॉक के झिनपुरी, पाली ब्लॉक के नोनबिर्रा में फूड पार्क बनना है। कोरबा ब्लॉक की भैंसमा में ही सबसे कम 6 एकड़ जमीन मिली है। यहां सबसे कम यूनिट स्थापित होगी।

योजना के तहत फूड पार्क में मक्का, महुआ, चिरौंजी, बेल, पोहा, पापड़, राइस मील, बेकरी, काजू, जामुन, लाख की प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएगी। ग्रामीण अपने ब्लॉक में ही वनोपज अच्छे दामों में बेच सकेंगे। वनांचल क्षेत्र होने के कारण वनोपज का संग्रहण बड़ी मात्रा में होता है। फूड पार्क में प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 50 डिसमिल से एक एकड़ तक जमीन देंगे। इसी वजह से जमीन को डेवलप करने के बाद पता चलेगा कि कहां कितने उद्योग लगेंगे। इसमें सड़क और पेयजल के लिए पानी टंकी भी बनेगी। हर पार्क में बिजली सब-स्टेशन भी बनाना पड़ेगा।

कुदमुरा व करतला ब्लॉक के तरईमार क्षेत्र में हर साल 600 टन से अधिक जामुन की पैदावार होती है। इसकी वजह से यहां के किसान लंबे समय से प्रोसेसिंग यूनिट की मांग कर रहे हैं। जामुन से जूस तैयार होता है। साथ ही गुठली भी पावडर बनाने का काम आती है। जिला उद्योग विभाग ने फूड पार्क के लिए जो योजना तैयार की है, उसके मुताबिक 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। इस योजना से युवाओं को जोड़ा जाएगा। जिला उद्योग व व्यापार केंद्र के महाप्रबंधक, तिर्की का कहना है कि समय पर जमीन नहीं मिल पाई। इस वजह से डेवलप नहीं हो पाया है। जहां जमीन मिल रही है, उसे ईएसआईडीसी को सौंपा गया है। जल्द ही आवंटन की प्रक्रिया शुरू है, इसका प्रयास किया जा रहा है।

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