November 21, 2024

कोरबा 04 अक्टूबर। कोरबा शहर के दानदाताओं के सहयोग से  सेवा भारती के नवनिर्मित भवन “विवेकानंद सेवा सदन” का लोकार्पण मुख्य अतिथि श्रीमती रेणुका सिंह केंद्रीय राज्य मंत्री जनजाति विकास, विशिष्ट अतिथि श्री राज किशोर प्रसाद महापौर नगर पालिक निगम कोरबा, श्री श्यामसुंदर सोनी सभापति नगर पालिक निगम कोरबा, श्री ऋषि डडवाल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राष्ट्रीय सेवा भारती, श्री रामेंद्र सिंह संगठन मंत्री सेवा भारती मध्य क्षेत्र की उपस्थिति में हुआ।

इस मौके पर मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका रेणुका सिंह ने कहा समाज में किसी भी कारण से छोड़े गए बच्चों को निस्वार्थ बुद्धि से पालन करने वाले माता यशोदाओं को प्रणाम है कोई भी शिशु जिनकी मां पिता नहीं है उनका पालन करना बहुत कठिन होता है सेवा भारती की यह माताएं इन बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं देखरेख कर रहे हैं साधुवाद के पात्र है। ईश्वर ने हमें पैदा किया और कुछ सक्षम बनाया है तो हमें इन बच्चों के लिए हमें कुछ करना चाहिए इस संबंध में श्रीमती रेणुका सिंह ने  अपने बेटी का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरी बेटी अपने जन्मदिवस पर अपने स्वयं की प्रेरणा से अपने जन्मदिवस पर प्राप्त होने वाले उपहार ,धनराशि से निराश्रित लोगों के उपयोगी सामानों को लेकर वितरण करती है जिससे उसे आत्मिक संतुष्टि प्राप्त होती है इस कार्य को करके वह अपने जीवन लक्ष्य तय कर लिया है।

सेवा भारती का नाम मैंने सुना था परंतु प्रत्यक्ष देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ सेवा भारती भारत माता की सेवा मानव सेवा के रूप में कर रही है मानव की पूजा कर रही है यही भारत माता की सेवा  है। जहां परिवार वहां त्यौहार है।
वर्तमान जीवन मानव सेवा ही भगवान ईश्वर को प्राप्त करवाता है। जहां परंपरा है वहां संस्कार है मानव सेवा का कर्तव्य को पूरा करते हुए सेवा भारती देश ही नहीं देश के बाहर भी अपना प्रकल्प चला रहे हैं ऐसे बच्चे जिनकी कोई नहीं हम हैं यह भाव लेकर यह कार्य कर रहे हैं साधुवाद के पात्र हैं हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के पांच प्रण  के अंतर्गत जो पांचवा प्रण है ” कर्तव्य “इस कर्तव्य को पूरा करने का कार्य मानव सेवा का कार्य सेवा भारती कर सही है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोरबा के जिला संघचालक किशोर बुटोलिया ने कहा कि सेवा भारती ने सेवा कार्यो को मात्र सेवा, यश-अर्जन, पुण्य-प्राप्ति, समय का सदुपयोग, परंपरा का निर्वहन आदि उददेश्यो से प्रारंभ नही करके सेवा के गहन तत्व को आत्मसात करने का उपक्रम किया है। सेवा भारती का विश्वास है कि सर्वसामान्य व्यक्ति वंचितो के प्रति भावात्मक लगाव रखे तभी समाज मे समरसता का वातावरण बन सकता है।

किन्हीं कारणों से जन्म देने वाली मां अथवा उनके परिजनों के द्वारा नवजात मासूम बच्चों को जंगल – झाड़ियों में, कचरे के डिब्बों में, रेलवे ट्रैकों पर, मंदिर के चौखट पर अथवा अस्पतालों में ही छोड़कर चले जाने को विवश होतें हैं। ऐसे बच्चों की देखभाल करने के लिए मातृछाया पिछले कई सालों से किराये के मकान में संचालित थी जिसे संचालित करने पर बहुत अधिक दिक्कत आती थी। कभी कहीं मकान बदलना तो कभी कहीं इसी के मद्देनज़र समाज के सहयोग से बच्चों के रहने के लिए भवन का निर्माण करवाया और बच्चो को रहने के लिए एक स्थायी घर बनवाया गया।

सेवा भारती के  मध्य भारत संगठन मंत्री श्री रामेंद्र जी ने कहा स्वतंत्रता प्राप्ति की 75 वर्ष होने के पश्चात भी आज ऐसे वर्ग के बच्चे शिशु में जिन्हें नालों में वनों में अस्पतालों में छोड़ दिया जाता है लोग समाज मैं लोक लाज के डर से ऐसे बच्चों को छोड़ जाते हैं इन्हीं बच्चों के लिए यह भवन का लोकार्पण आज है ऐसी परिस्थिति क्यों बनती है बच्चे पैदा करते हैं उन्हें बच्चों को पालने की इच्छा होती है परंतु समाज और लोकल आज किधर के कारण वह उन्हें अपने साथ नहीं रखते ऐसे ही बच्चों को सेवा भारती अपने मातृछाया भवन में रखकर उनका पालन पोषण कर एवं उनके जीवन जैविक माता-पिताओं की खोज कर सुपुर्द करने का कार्य करती है यदि नहीं मिलते तो शासन के नियमानुसार दत्तक की प्रक्रिया प्रारंभ कर अच्छे परिवार में बच्चों को भेजा जाता है ।सन 1997 के पहले मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में ऐसे निराश्रित शिशुओं के लिए कोई विकल्प नहीं था हिंदू सेवा सदन के नाम से एक कार्य चल रहा था जहां से जिसे 70 – 80 वर्ष हो चुके हैं ।परंतु उस समय बच्चों के भविष्य की देखरेख करने की व्यवस्था नहीं होने के कारण उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। सेवा भारती 1997 से इस क्षेत्र में कार्य कर रहा है। सेवा भारती द्वारा आज तक के मातृछाया के माध्यम से गोद लिए हुए बच्चों का विवरण उपलब्ध है ।

निराश्रित बच्चों को उचित योग्य परिवार में पालन पोषण हेतु जाए इस उद्देश्य  को लेकर मातृछाया का काम प्रारंभ किया गया। समाज में तीन प्रकार के बच्चे शिशु आते हैं जिसमें पहला लोक लाज के डर से छोड़े हुए बच्चे जो 1 दिन दो 2 दिन 2 घंटे 10 दिन 1 महीने ऐसे बच्चे आते हैं। दूसरे प्रकार के जिनके माता-पिता का देहांत हो जाता है उनका पालन पोषण कहीं नहीं हो पाता यह बच्चे भी आते हैं। तीसरे हैं मेले ठेले बस स्टैंड रेलवे स्टेशन आदि में छूट  जाते हैं अपने माता पिता से बिछड़ जाते हैं उन्हें मातृछाया में ला कर उनके माता पिता की खोज की जाती है 60  दिन तक खोज करने के पश्चात यदि उनके माता-पिता नहीं मिलते हैं तो शासन के गाइडलाइन एवं नियमों के अनुसार उनकी दत्तक /गोद में दिए जाने की कार्यवाही की जाती है। पहले ऐसे बच्चों को गोद लेने के पश्चात ही गौत्र समाज में स्थान परिवार में समुचित स्थान नहीं मिलता था ।परंतु प्राचीन प्राचीन परंपरा अनुसार और शासन के वर्तमान गाइडलाइन /नियमों के अनुसार गोद लिए जाने वाले बच्चों को उनके माता-पिता के गोत्र समाज में स्थान परिवार में इस स्थान आदि प्राप्त होते हैं दत्तक दिए जाने के पश्चात भी सेवा भारती द्वारा ऐसे बच्चों के परवरिश कैसे हो रहा है इसका देखरेख किया जाता है। अच्छे परिवारों में उनकी दत्तक कार्रवाई की जाती है उस परिवार में बच्चे के प्रति व्यवहार भावना की भी जांच की जाती है यदि कोई परिवार बच्चों को सही रूप से देखरेख नहीं कर पाते उन्हें नियमानुसार वापस भी लिया जाता है ।जो बच्चे खोए हुए रहते हैं उनके माता-पिता नहीं मिलने पर बच्चों के व्यवहार बातचीत के आधार पर उस क्षेत्र में जाकर उनकी माता के माता पिता की खोज की जाती है उनसे उनसे मिलाने की कार्य भी किया जाता है यह सब सेवा भारती करती है।

सेवा भारती द्वारा 1997 से लेकर अब तक मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में 2500 बच्चों को अच्छे घरों में दस्तक के रूप में पहुंचाया गया है। बच्चे जिन परिवारों में गए हैं वहां वह अच्छी तरह से हैं कोई कोई बच्चे जिस परिवार में गए हैं उस परिवार के लिए अच्छे भाग्य लेकर पहुंचते हैं घर परिवार छोटा रहता है वह जुड़ जाते हैं संपन्नता आती है परिवार मिलजुल कर बच्चों का पालन पोषण करते हैं  कई परिवार है जिसमें बच्चे के पास पहुंचने के पश्चात उनकी सुख समृद्धि बढ़ी  है ,जो भाई अलग रहते थे एक साथ मिलकर बच्चे का  पालन पोषण करते और परिवार में खुशी का माहौल का यही सब कार्य सेवा भारती कर रहा है कई परिवार ऐसे आते हैं जो बच्चों को देखकर धनराशि लेकर बच्चे देने की बात करते हैं परंतु हम शासन के नियमों को पालन करते हुए और दत्तक योजना के नियमों के अनुरूप मापदंडों को पूरा करने वाले परिवार को ही बच्चों को नियमानुसार सकते हैं मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में निराश्रित बच्चों के लगभग 20 प्रकल्प चल रहे हैं जिसमें वर्तमान में 650 बच्चे पढ़ रहे हैं इनके जैविक माता-पिता की खोज कर रहे हैं।
यह सेवा भारती का एक छोटा प्रकल्प है।

सेवा भारती का मुख्य कार्य है वंचित उपेक्षित पीड़ित पिछड़े वर्ग के बहुल समाज हैं उन्हें मुख्य जोड़ने का कार्य मुख्य धारा में जोड़ने का कार्य है जिसे सेवा भारती स्थापना काल से कर रहा है। आपको बता दें कि सेवा भारती समिति अखिल भारतीय संगठन राष्ट्रीय सेवा भारतीय से सम्बद्ध है। जिसके तहत देश भर में 76 हजार 814 सेवा कार्य चल रहे हैं। इसका उद्देश्य समाज के सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्ग का विकास कर स्वाभिमानी और स्वावलंबी बनाना है।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ सेवा भारती के उपाध्यक्ष संतोष सिंह ठाकुर अध्यक्ष डॉ विशाल उपाध्याय सचिव सुनील जैन कोरबा नगर के गणमान्य नागरिक दानदाता बंधु एवं क्या भारती के सदस्य उपस्थित रहे।

Spread the word