सिविल सर्विस के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता लाने इंडस पब्लिक स्कूल में प्रेरक वर्कशॉप का आयोजन
0 नेशनल सिविल सर्विस डे पर छात्र-छात्राओं ने विभिन्न सवाल पूछकर परीक्षा के प्रति दिखाई अपनी रूचि
0 लक्ष्य को पाने के लिए परिश्रम, समर्पण, अनुशासन, लगन और नित्य अध्ययन आवश्यक होता है : डॉ. संजय गुप्ता
कोरबा। इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विद्यार्थियों की रूचि सिविल सर्विसेज में जगाने एवं विस्तृत जानकारी देने के उद्देश्य से वर्कशॉप का आयोजन किया गया। अनुपमा साहू ने विद्यार्थियों को बताया कि भारत की स्वतंत्रता के बाद 1947 में ब्रिटिश राज के भारतीय सिविल सेवा से इसका गठन किया गया। इस दिन को भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की याद में चुना गया, जिन्हें हम लौह पुरुष के रूप में जानते हैं। सरदार पटेल ने भारतीय संघ में रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें भारतीय सिविल सेवाओं के संस्थापक पिताओं में से एक माना जाता है।
अनुपमा साहू ने विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन करते हुए बताया कि यदि हममें देश की सेवा करने की प्रबल इच्छा है और हमें नाम, पद, पैसा और पहचान चाहिए तो हम कक्षा आठवीं या नवमीं से ही सुक्ष्म तैयारी या थोड़ी-थोड़ी तैयारी करते रहें। जहां तक 21 अप्रैल सिविल सर्विस डे की बात है यह दिन सिविल सेवकों को सम्मानित करने तथा उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यदि हमने प्रारंभ से ही सिविल सेवा में जाने का लक्ष्य बनाया है तो पूरे अनुशासन और समर्पण के साथ हमें तैयारी करनी होती है। हमारे लिए प्रत्येक क्षण कीमती होता है। सिविल सेवा से तात्पर्य है सभी सरकारी विभाग जिनमें सशस्त्र सेनाओं से संबंधित विभाग नहीं आते हैं। सिविल सेवकों से तात्पर्य है अधिकारियों का वह समूह जो सरकारी कार्यक्रमों एवं योजनाओं का क्रियान्वयन करते हैं। इनका चयन योग्यता के आधार पर होता है। वे सरकारी नीतियों के माध्यम से लोगों की सेवा करते हैं। सिविल सेवा परीक्षा भारत की एक प्रतियोगी परीक्षा है, जिसके परिणाम के आधार पर भारत सरकार केंन्द्रीय व राज्य प्रशासन के लिए सिविल सेवाओं के अधिकारी जैसे जिलाधिकारी, आईपीएस, पुलिस अधिकारी चुने जाते हैं। यूपीएससी प्रत्येक वर्ष सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करती है।
विद्यार्थियेां ने पूछा कि सिविल सेवा परीक्षा के लिए क्या करना पड़ता है। अनुपमा साहू ने बताया कि सिविल सर्वेंट बनने के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। इस परीक्षा का आयोजन यूपीएससी करती है जिसमें आप सम्मिलित होकर अपने सपनों को साकर कर सकते हैं। यदि आप इस परीक्षा को पास करते हैं तो आप आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, इंडियन ऑडिट एंड सर्विस, इंडियन डिफेंस सर्विस, इंडियन कॉर्पोरट लॉ इत्यादि महत्वपूर्ण पदों पर पदासीन होते हैं। इनमें आपको नेम, फेम और मनी तीनो पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते हैं। भरपूर पैसा मिलने के साथ-साथ आपको तमाम सरकारी भत्ते एवं सुविधाएं भी प्राप्त होते हैं। इस परीक्षा को पास करने के लिए हमें इसके पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए एवं बेहतर स्ट्रैटेजी बनाकर हम यदि तैयारी करें तो हम इस परीक्षा को क्रैक कर सकते हैं। यह परीक्षा कठिन अवश्य होती है, लेकिन यह आपको सब कुछ प्रदान करता है। आपका रूतबा ही जुदा होता है।
इस वर्कशॉप में विद्यालय के साइंस, कॉमर्स एवं ऑर्ट तीनों संकायों के विद्यार्थियों ने सम्मिलित होकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि हमारा स्नातक चाहे किसी भी विषय से हो चाहे हम किसी भी संकाय या विषय समूह से हों, हम स्नातक परीक्षा पास कर यूपीएससी के लिए पात्र हो जाते हैं। इस परीक्षा हेतु आयु सीमा न्यूनतम 21 वर्ष होनी चाहिए एवं अधिकतम 32 वर्ष। हमें 6 प्रयास का अवसर मिलता है। यदि प्रारंभ से ही हमारी तैयारी तय रणनीति के तहत अच्छी है तो हम इस परीक्षा को पास कर सकते हैं। पढ़कर लिखकर पद प्रतिष्ठा पैसा और रूतबा चाहिए तो यह सबसे बेहतर विकल्प होता है। आज की स्थिति में हर तरफ प्रतिस्पर्धा का माहौल है। हमें सिविल सर्विसेज में अपनी जगह सुनिश्चित करनी है तो हम निरंतर पढ़ते रहें। सामान्य ज्ञान से अथाह समुद्र है। हम निरंतर अपने आपको अपडेट करते रहें। सिविल सर्विसेज में चयन होकर हम उच्च अधिकारी बनते हैं। हमें देश की सेवा करने का अवसर मिलता है। यह परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए हमें परिश्रम, समर्पण, अनुशासन, लगन और नित्य अध्ययन आवश्यक होता है। हमें लगातार प्रयास करते रहना चाहिए। निरंतर किया प्रयास ही हमें मंजिल तक पहुंचाता है।
इस वर्कशॉप में शैक्षणिक प्रभारी सव्यसाची सरकार व सोमा सरकार तथा दीक्षा शर्मा सहित विद्यार्थी उपस्थित थे। वर्कशॉप के पश्चात सभी विद्यार्थियों के चेहरे पर आत्मविश्वास व ऊर्जा परिलक्षित हुई। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने निरंतर विभिन्न सवालों के माध्यम से अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। विद्यार्थियों की प्रत्येक शंकाओं एवं सवालों का जवाब शिक्षिकों ने बड़े धैर्य से दिया।