साहित्य हिन्दी त्रिलोचन की कविता: एक मधु मुसकान से लिख दो Markanday Mishra August 21, 2020 प्रस्तुति- सरिता सिंहएक मधु मुसकान से लिख दो जगत की यह कहानीयह नया पतझर, रहे झर वे पुराने भाव वे स्वर मिट रहे वे चित्र घन के रवि गया जिन को बिरच कर रात में जो स्वप्न देखा पुष्ट जिस की भाव-रेखाजा रही है रात तुम को मूर्ति है अपनी बनानीरात में मन मन अलग थे स्वप्न रचना में बिलग थे ताल लय में नव उदय था भिन्न भाषा भिन्न जग थे अब उषा की स्निग्ध स्मृति में एक सृति में एक स्थिति मेंएक भू पर भिन्न कृति में एक सरिता है बहानीदेश के ये बंध तोड़ो जाति के ये बंध तोड़ो वर्ण वर्ण खिले सुमन दल रुचिर रुचिर सुंगध जोड़ो रूप में हो तेज संचय तेज में नव प्राण परिचयसब बिराजें एक रचना में वही है पास लानी Spread the word Continue Reading Previous पुरुषोत्तम प्रतीक के तीन गीतNext बेक़ल उत्साही की गज़ल Related Articles कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर साहित्य डॉ.निशंक का रचना संसार साहित्य महाकुंभ समारोह में डॉ.ऊषी बाला गुप्ता सम्मानित Markanday Mishra October 30, 2022 कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर प्रेरणा भाषा संस्कृति साहित्य एनटीपीसी कोरबा में राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दी पखवाड़ा 2022 के तहत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन Markanday Mishra September 30, 2022 आस्था कला कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर संगठन संस्कृति साहित्य छत्तीसगढ़ की लोक कला, परंपरा व संस्कृति को बचायें: पुरुषोत्तम Markanday Mishra September 29, 2022