राजवाड़े कुर्मी महिला मंडल ने मनाया तीज महोत्सव, विद्या बनी तीज क्वीन, श्यामलता रनरअप
कोरबा। आदर्श राजवाड़े कुर्मी महिला मंडल ने पथर्रीपारा स्थित सामुदायिक भवन में तीज महोत्सव का आयोजन किया। मुख्य अतिथि के रूप में बाल संरक्षण आयोग की पूर्व सदस्य मधुलता राजवाड़े एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व जनपद सदस्य श्यामलता राजवाड़े ने की। इस महोत्सव में समाज की महिलाओं एवं बच्चों ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देकर समारोह को यादगार बना दिया। करीब 6 घंटे तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताओं से यहां उपस्थित समाज की महिलाओं, बच्चों एवं समाज के गणमान्य नागरिकों का मनोरंजन किया।
तीज क्वीन के लिए कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गई, जिसमें सभी प्रतियोगिताओं में सफल विद्या राजवाड़े ने तीज क्वीन का ताज पर कब्जा जमाया। श्यामलता राजवाड़े द्वितीय स्थान पर रहीं और हेमलता राजवाड़े ने तीसरा स्थान अर्जित किया। सभी को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। विद्या को तीज क्वीन का ताज पहनाया गया। अन्य प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करने वालों को भी पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर आदर्श राजवाड़े कुर्मी समाज के अध्यक्ष कृपासिंधु राजवाड़े ने कहा कि हमारे समाज की महिलाएं भी अब घर से निकलकर सामाजिक क्रियाकलापों में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और शिक्षित होकर विभिन्न पदों में सेवाएं दे रही हैं। जिस समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती है वह समाज भी आगे बढ़ता है। हम सभी एकता का परिचय देकर समाज को आगे बढ़ाएं। पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष भोजराम राजवाड़े ने कहा कि समाज की महिलाओं का यह प्रथम कार्यक्रम था, जो शानदार रहा। अधिवक्ता रामचंद्र राजवाड़े ने कहा कि जिस समाज में महिलाएं रचनात्मक कार्यों में योगदान देती हैं, वह समाज प्रगतिशील बनता है। इस अवसर पर प्रमुख रूप से अहिल्या राजवाड़े, पुष्पा, संतोषी, गंगा, कृष्णा, प्रभा, हेमलता, प्रमिला, दीप्ति, भगवती, माधुरी, नंदनी, रामकुमारी, अंजु, कांता, रितु, शशिकला, कलिंद्री, गुलशन, देवकुमारी, भाजकुमारी, गायत्री, राजवती, सावन, रंजना, पूनम, संगीता आभा, विद्या, सहोदरा, चित्रलेखा, विजयलक्ष्मी रज्जु सहित समाज के प्रमुख कृपासिंधु राजवाड़े, भोजराम राजवाड़े, रामचंद, टीआर राजवाड़े, शासकीय अभिभाषक रोहित राजवाड़े, बलिराम राजवाड़े, हरनारायण राजवाड़े, देवनारायण राजवाड़े, राजू राजवाड़े, रामधन राजवाड़े, हेमलाल राजवाड़े, सालिकराम राजवाड़े, शैलेन्द्र राजवाड़े सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं।