तीन माह में ही उखड़ने लगा भैसमा-सक्ती मार्ग
0 गुणवत्ता में अनदेखी की खुली पोल
कोरबा। वैसे तो सड़क निर्माण के बाद 5 साल के परफॉर्मेंस की गारंटी होती है, मगर ऊर्जाधानी में बन रही सड़कें 5 साल तो दूर 5 माह भी नहीं टिक रही है। कुछ इसी तरह का नजारा भैसमा-सक्ती मार्ग पर देखने को मिला है, जहां निर्माण के तीन माह के भीतर ही सड़क उखड़ने लगी है। सड़क पहली ही बरसात को नहीं झेल पाई।
भैसमा से नवगठित सक्ती जिला मुख्य मार्ग में कोरबा के हिस्से की सड़कों में कलमीभांठा, तिलकेजा, आमापाली, जुनवानी के पास उखड़ती सड़कें इसका प्रमाण दे रही हैं। नवनिर्मित सड़कों में गुणवत्ता की अनदेखी एवं जिम्मेदार अधिकारियों और विभाग के प्रश्रय से जनाक्रोश पनपने की पूरी संभावना है। भैसमा से सक्ती जिले के लिए बरसात से पूर्व लोक निर्माण विभाग ने टू लेन पक्की सड़क तैयार की है। इसमें भैसमा से लबेद तक का हिस्सा कोरबा जिला एवं शेष हिस्सा सक्ती जिले का है। दो फेस में तैयार इस मार्ग को तैयार करने में संबंधित ठेकेदार ने न केवल सुस्ती दिखाई वरन् बरसात से पूर्व तैयार करने के दबाव में गुणवत्ता की इस कदर अनदेखी कर दी कि पहली ही बरसात में मार्ग में भ्रष्टाचार की परतें उखड़कर सामने आने लगी हैं। कलमीभांठा, तिलकेजा एवं आमापाली, जुनवानी के पास सड़क कई पेंच में उखड़ने लगी है। साइड शोल्डर भी धंसने लगा है, जिससे फर्म एवं अफसरों की जुगलबंदी साफ नजर आने लगी है। जल्द ही मार्ग की मरम्मत नहीं हुई तो आवागमन के दौरान लोगों की परेशानी बढ़ सकती हैं। कायदे से कार्य की गुणवत्ता, तकनीकी मापदंडों की जांच की जानी चाहिए ताकि शासन की मंशा पर पानी न फिरे। चुनावी वर्ष में इस अनदेखी से आमजन में जनाक्रोश पनप रहा है। जनाक्रोश कहीं भारी न पड़ जाए।
0 बढ़ा यातायात दबाव, प्रतिबंध के बावजूद दौड़ रहे भारी वाहन
राष्ट्रीय राजमार्ग कोरबा-उरगा-चाम्पा 149 बी में शामिल मार्ग पर निर्माणाधीन फोरलेन सड़क से कोरबा से बरपाली, सलिहाभांठा, बंधवाभांठा, डोंगरीभांठा, पकरिया, चिकनीपाली, तिलकेजा, तुमान, सराईडीह, गांड़ापाली, पठियापाली सहित अन्य ग्राम के ग्रामीण पिछले 3 माह से इसी मार्ग से आवागमन कर रहे हैं। एनएच के फोरलेन सड़क तैयार होने में अभी करीब साल-डेढ़ साल का वक्त लगेगा। ऐसे में इस मार्ग पर यातायात का बढ़ता दबाव बरकरार रहेगा। इस मार्ग पर भारी वाहनों के आवागमन पर कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी ने प्रतिबंध लगा रखा है। बकायदा इस आदेश से जुड़े साइन बोर्ड भी लगाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद कई ट्रांसपोर्टर नियमों का माख़ौल उड़ा भारी वाहन दौड़ा रहे हैं।