बाहरी बताकर काटा गया संजय शर्मा का टिकट
0 भाजपा संगठन को हमेशा मजबूत करने का किया काम
कोरबा। कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा जिला विशेष आमंत्रित सदस्य, भाजपा मंडल चोटिया प्रभारी संजय शर्मा को बाहरी बताकर उनका टिकट काटा गया है जबकि वे हमेशा संगठन को मजबूत करने का काम करते रहे हैं। उक्त बातें प्रेस क्लब तिलक भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान पूर्व जिला महामंत्री भाजपा अनिल पटले, अजजा मोर्चा राजकुमार कश्यप, समाजसेवक आशीष शुक्ला, श्याम लाल यादव, शशी साहू व उमा शुक्ला ने कही।
उन्होंने कहा कि कटघोरा विधानसभा की संपूर्ण जनता दीपका निवासी समाज सेवी भाजपा जिला विशेष आमंत्रित सदस्य, भाजपा मंडल चोटिया प्रभारी संजय शर्मा की सेवा से बहुत प्रभावित हुए हैं। देश में विकराल रूप से करोना काल आया किसी भी दल के नेता न जनप्रतिनिधि सामने आया। सब दरवाजा बंद था उस समय से अभी तक संजय शर्मा जनता के बीच सेवा करते आ रहे हैं। उनकी सेवा भाव से जनता उन्हें विधायक के रूप में देखना पसंद कर रही है। कटघोरा विधानसभा सभा में लागातार जनता के दु:ख-सुख के साथ-साथ भाजपा कार्यकता की सेवा की। भारतीय जनता पार्टी का लगातार प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ मजबूत करने केंद्र और राज्य में कमल फूल खिलाने के लिए संकल्पित रहे। शर्मा ने कटघोरा विधानसभा को लगातार मजबूत किया। भाजपा के कुछ लोगों ने संजय शर्मा को बाहरी बताकर उनका टिकट कटवाया। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कटघोरा विधानसभा में हुए संगठन सर्वे में संजय शर्मा का नाम प्रथम स्थान पर था, जो कटवाया गया। अभी लगातार भाजपा कार्यकर्ता सहित समाज प्रमुख जन और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र की जनता संजय शर्मा को विधायक बनाने के लिए ठान चुके हैं। चाहे कोई भी परिस्थिति हो।
0 भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को संरक्षण देने के कारण हारे लखन
प्रेसवार्ता में मौजूद लोगों ने कटघोरा विधानसभा सीट पर लखनलाल देवांगन की हार का कारण बताते हुए कहा कि देवांगन के साथ वाले कुछ लोग भ्रष्टाचार कर रहे थे। जिन्हें लखनलाल संरक्षण दे रहे थे इसलिए उन्हें चुनाव में हार मिली थी। वर्ष 2018 के चुनाव में बगावत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गोविंद सिंह राजपूत जेसीसी से चुनाव लड़े थे। जो भाजपा के बागी थे। उन्हें 30509 वोट मिले थे। वहीं लखनलाल देवांगन को 47716 और पुरुषोत्तम कंवर को 59227 मत मिले थे। इस चुनाव में पुरुषोत्तम जीते थे। अगर बगावत नहीं होती तो भाजपा प्रत्याशी जीत जाते। इस बार ऐसी स्थिति न बने इसे संगठन को देखना होगा।