बालको ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सपने को कर रहा साकार
बालकोनगर। विविधता, एकता और परंपरा का जश्न मनाने की अपनी यात्रा में भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने धार्मिक स्थलों की समृद्ध विरासत को संरक्षित किया है जो दशकों से टाउनशिप का अभिन्न अंग हैं। राम मंदिर से लेकर सेंट विंसेंट पल्लोटी चर्च, गोसिया मस्जिद और गुरुद्वारा ये सभी पूजा स्थल आस्था के प्रतीक हैं। ये सभी धार्मिक स्थल विभिन्न संस्कृति एवं धर्मों के सम्मान के प्रति बालको की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
सभी समुदाय के धार्मिक स्थल विविधता के साथ ही कंपनी द्वारा एकजुटता की भावना बनाएं रखने के प्रयास को दर्शाते हैं। 1975 में स्थापित राम मंदिर धार्मिक स्थलों में से एक है, जो समय के साथ त्योहार और पूजा-अर्चना के केंद्र के रूप में विकसित हुआ। इसी तरह 1973 में स्थापित बालको गोसिया मस्जिद लंबे समय से टाउनशिप के मुस्लिम समुदाय के लिए इबादतगाह का प्रमुख स्थान है, जहां लोग नमाज एवं विभिन्न सामुदायिक कार्यों के लिए एकजुट होते हैं। 1976 में स्थापित सेंट विंसेंट पल्लोटी चर्च अपने छोटे स्वरूप से ईसाई समुदाय के लिए मुख्य प्रार्थना स्थल बना। जहां ईसाई समुदाय के लोग प्रार्थना के लिए इकट्ठा होते हैं। 1975 में स्थापित गुरुद्वारा गुरु सेवक सभा में सिख समुदाय के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर गुरुवाणी एवं शबद कीर्तन तथा लंगर का आयोजन करते हैं। आजतक, ये पवित्र स्थान बालकोनगर के सांप्रदायिक सौहार्द के ताने-बाने को बनाए हुए हैं। राम मंदिर समिति के प्रमुख एवं बालको के सेवानिवृत्त कर्मचारी सुधीर शर्मा कहते हैं कि राम मंदिर लगभग पाँच दशकों से बालकोनगर के धार्मिक आयोजन का केंद्र रहा है। मंदिर में आयोजित राम नवमी, भागवत कथा तथा विभिन्न उत्सव लोगों को एक साथ लाते हैं। मंदिर में ‘राम अयोध्या पूजा’ के पावन अवसर पर लगभग 30,000 लोग दर्शन करने आए।
1980 में बालको के फाउंड्री में काम करने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारी और चर्च के एक वरिष्ट सदस्य विल्सन मिंज ने अपने अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि मैंने चर्च को एक छोटे संरचना से इमारत में तब्दिल होते हुए देखा है जो बालको और समुदाय के समर्थन से संभव हुआ। आज हमारा चर्च आस्था और एकता के साथ हम सभी के लिए प्रार्थना का पवित्र स्थल है।
बालको एसआरएस विभाग में कार्यरत कर्मचारी नौशाद अली गोसिया मस्जिद का देखभाल करते हैं। उन्होंने बताया कि मस्जिद समुदाय के लिए भाईचारा का आधारशिला है। हम सभी त्योहार मनाने के लिए यहां इकट्ठा होते हैं। यह वास्तव में हमारी एकजुटता की भावना का प्रतीक है जो हमें नेकी की राह पर लेकर जाता है।
गुरुद्वारा से जुड़े बालको के कर्मचारी तजिंदर सिंह तूर ने कहा कि गुरुद्वारा 1970 के दशक से ही शांति और आपसी मेल-जोल का स्थान रहा है, जो बालको के निरंतर समर्थन से संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि गुरु पर्व, त्यौहार एवं लंगर के दौरान लोगों का एकता और साझा उद्देश्य के लिए एक साथ आते देखना प्रेरणादायक है।
ये पूजा स्थल विविधता में एकता के प्रतीक हैं। समुदाय के साथ ही कंपनी के प्रयास से विभिन्न धर्मों के कर्मचारी, निवासी और उनके परिवार के लोग एकजुट होते हैं। बालको ने सामूहिकता की भावना को बढ़ावा दिया। जहां सभी परंपराओं का जश्न साथ मिलकर मनाया जाता है। कंपनी ने सामुदायिक भलाई के साथ ही अपनी आद्यौगिक यात्रा का भी अनूठा उदाहरण पेश किया है।
यहां के मेहनतकश कर्मचारियों ने हर समय कंपनी को प्रगति पथ पर निरंतर आगे बढ़ाने का कार्य किया है। 27 नवंबर, 1965 की स्थापना के साथ ही, सार्वजनिक क्षेत्र में एल्यूमिनियम उत्पादन करने वाली पहली कंपनी बनी। 1966 में कोरबा साइट के ऑफिस की स्थापना के बाद 1969 से सिविल कार्य आरंभ हो गया। 1973 में एलुमिना प्लांट की शुरूआत हुई और पहली बार 1974 में सोवियत संघ (रूस) को 8000 टन एलुमिना निर्यात कर कंपनी ने बड़ी उपलब्धि हासिल की। एक लाख टन वार्षिक एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता के स्मेल्टर को चार चरणों में स्थापित किया गया। सभी चरण में 25 हजार टन वार्षिक क्षमता के स्मेल्टर का निर्माण हुआ। पहले एवं दूसरे चरण के स्मेल्टर को उत्पादन के लिए 1975 तथा 1977 में मंजूरी मिली तथा तीसरे एवं चौथे चरण का निर्माण कार्य 1977 एवं 1978 तक मुकम्मल हो गया था। कंपनी ने पहली बार 1976 में ‘भारततल’ इंगट जापान को निर्यात किया। इसी के साथ अपने प्रचालन का विस्तार करते हुए कंपनी ने 1976 में एक प्रॉपरज़ी रॉड उत्पादन इकाई, 1978 में बिलेट और 1980 में स्लैब रोलिंग की स्थापना की। साथ ही 1978 में अलॉय पिग्स एवं बिलेट तथा 1979 में एक्सट्रूशन प्रोडक्ट का कॉमर्शियल प्रोडक्शन शुरू किया। कंपनी के उत्पाद में एलुमिना, पिघला धातु, ईंगट, एलॉय मेटल, बिलेट, स्लैब, प्रॉपरज़ी रॉड, एक्सट्रूशन और रोल्ड उत्पाद शामिल थे।
बालको ने 1970 में एक आवासीय टाउनशिप को विकसित किया जिसमें सभी सामुदायिक सुविधाएँ उपलब्ध थीं। 1980 तक समृद्ध टाउनशिप विकसित किए गए, जिसमें स्कूल एवं बाज़ार शामिल थे। इसके साथ ही 1975 में 30 बिस्तर वाला अस्पताल बना। बालको ने सभी समुदायों के लिए पूजा स्थल बनवाएं, जिनमें मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च आदि शामिल थे।
2001 में भारत सरकार ने भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के 51% शेयरों का विनिवेश स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (अब वेदांता लिमिटेड है) में किया। विनिवेश के बाद बालको ने तेजी से विकास की राह पर कदम बढ़ाया। इन छह दशकों में बालको अपनी क्षमता को 1 मिलियन टन प्रति वर्ष तक पहुंचने का लक्ष्य रखता है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर कंपनी छठी सबसे बड़ी स्मेल्टर बन जाएगी। नेतृत्व और नवाचार के छह शानदार दशकों की मदद से कंपनी एल्यूमिनियम उद्योग के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भरता बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।