November 23, 2024

मिलेट्स को डाइट में शामिल कर कुपोषण से दूरी की मुहिम

0 केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 एनटीपीसी के विद्यार्थियों ने जागरूकता रैली निकाली
कोरबा।
मिलेट्स को डाइट में शामिल कर कुपोषण से दूरी और सुपोषण का हाथ थामने की मुहिम में बच्चे भी अपनी भूमिका सुनिश्चित कर रहे हैं। इसी कड़ी में सोमवार को केंद्रीय विद्यालय क्रमांक-2 एनटीपीसी कोरबा के विद्यार्थियों ने जागरूकता रैली निकाली। मोटे अनाज के महत्व से पालकों और बच्चों को अवगत कराते हुए केंद्रीय विद्यालय परिवार की इस पहल में बच्चों ने अपना नारा बुलंद करते हुए मोटे अनाज अपनाओ, अपनी ताकत बढ़ाओ का संदेश दिया। टाउनशिप में रैली के जरिए विद्यार्थियों और शिक्षकों ने मिलेट्स से बनी खाद्य वस्तुओं को अपने नियमित आहार की थाली में जगह प्रदान कर पोषण से जुड़ने का आह्वान किया।
मोटे अनाज के प्रति लोगों में जागरूकता का प्रसार किया जा रहा है, ताकि इसे अपनी डाइट में जोड़कर सेहत को बेहतर बनाया जा सके। गेहूं-चावल के मुकाबले मोटा अनाज उगाना और खाना दोनों ही ज्यादा सुविधाजनक है। मिलेट में पोषण भी अधिक होता है, जिससे शरीर की इम्यूनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है। केंद्र सरकार ने अपने बजट में मिलेट को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना चलाई है। इस पहल को सार्थक बनाने स्कूल के बच्चों और उनके पालकों को भी जागरूक करने समय-समय पर कार्यक्रम, सांस्कृतिक स्पर्धाओं और रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को प्राचार्य साहू के नेतृत्व में केंद्रीय विद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने कॉलोनी में जागरूकता रैली निकाली। इस दौरान प्रेरक नारे भी लगाए और लोगों को मोटे अनाज के महत्व से अवगत कराते हुए अपने नियमित आहार में शामिल करने का संदेश दिया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (वायओएम) के तौर पर मनाया जा रहा है। विश्वभर में साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) योजना केंद्र आधारित सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है। प्रायोजित योजना के अंतर्गत बाल वाटिका और कक्षा पहली से आठवीं तक की कक्षाओं में पढ़ने वाले सभी स्कूली छात्रों को शामिल किया गया है। पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना का मुख्य उद्देश्य भूख और कुपोषण को दूर करना, स्कूल में नामांकन और उपस्थिति में वृद्धि करना, जातियों के बीच समाजीकरण में सुधार करना और विशेष रूप से महिलाओं को जमीनी स्तर पर रोजगार प्रदान करना है।

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