हसदेव बायीं तट नहर का टूटा बंड, बहा लाखों लीटर पानी
0 जल संसाधन विभाग की लापरवाही आई सामने
कोरबा। जल संसाधन विभाग की लापरवाही एक बार फिर उस समय उजागर हो गई, जब हसदेव बायीं तट नहर के बंड का बड़ा हिस्सा टूट गया। नहर का पानी खेत और ईंटभट्ठों से होते हुए नदी में बहने लगी। देर रात पहुंचे अफसरों ने मौके का निरीक्षण किया। तत्पश्चात दर्री बरॉज से पानी का निकासी बंद कराया गया। अफसरों के निर्देश पर नहर के टूटे तटबंद का सुधार कार्य शुरू किया गया है।
जिले के मिनीमाता बांगों बांध व हसदेव दर्री बरॉज से विद्युत संयंत्रों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में सिंचाई तथा निस्तारी के लिए पानी की आपृर्ति की जाती है। इसके लिए जल संसाधन विभाग द्वारा दायीं और बायीं तट नहर का निर्माण कराया गया है। जहां दायीं तट नहर सर्वमंगला-कनकी मार्ग से अकलतरा की ओर गई है, वहीं बायीं तट नहर शहर के भीतर से निकला है। इस नहर से जांजगीर-चांपा जिले के अलावा रायगढ़ व सक्ती जिले के दर्जनों गांव को पानी की आपूर्ति की जाती है। ग्रामीण न सिर्फ अपनी खेतों की प्यास बुझाते हैं, बल्कि नहर की पानी का उपयोग निस्तारी के लिए भी करते हैं। हर बार की तरह इस बार भी गर्मी के शुरू होते ही हसदेव बरॉज से पानी छोड़ा जा रहा था।
सोमवार को कोरबा-उरगा के बीच भिलाई खुर्द के समीप स्थित बायीं तट नहर का बंड पानी के तेज बहाव को नही सह सका। बायीं तट नहर के बंड एक हिस्सा टूट गया, जो पानी के बहाव के साथ साथ बढ़ता जा रहा था। नहर से निकलने वाला पानी आसपास के क्षेत्र में स्थित खेतों के अलावा ईंटभट्ठों से होकर हसदेव नदी में जा रहा था। इसकी भनक जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को देर रात लगी। वे रात करीब दस बजे मौके पर पहुंचे। उन्होंने मौके का निरीक्षण किया। चूंकि पानी के तेज बहाव के कारण तटबंध को भारी नुकसान हो सकता था। लिहाजा अफसरों ने तत्काल हसदेव दर्री बरॉज से पानी का निकासी बंद कराया, तब कहीं जाकर क्षतिग्रस्त हिस्से से पानी का बहाव बंद हुआ।
मौके पर निरीक्षण के लिए पहुंची विभाग की इंजीनियर संजू मानिकपुरी ने बताया कि रात करीब दस बजे अफसरों ने मौका निरीक्षण किया था। बहरहाल विभागीय अफसरों ने नहर के बंड का मरम्मत कार्य शुरू करा दिया है। सिंचाई विभाग द्वारा वर्षों पहले बायीं और दायीं तट नहर का निर्माण कराया गया है, जिसकी देखरेख में कोताही बरते जाने के कारण आए दिन नहर के क्षतिग्रस्त होने की घटना सामने आती है। यदि पूर्व में घटित घटना की बात करें तो सीतामढ़ी के समीप भी नहर के बंड टूटने की घटना हुई थी, जिससे आसपास के घरों में जलभराव की स्थिति भी निर्मित हुई थी। बताया जा रहा है कि विभाग द्वारा नहर में मरम्मत के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूरी की जाती है। कई ऐसे स्थान है, जहां बंड में सुधार के नाम पर रेत से भरी बोरी रखे गए हैं। कई स्थानों पर नहर के भीतर हुआ कांक्रीटीकरण क्षतिग्रस्त हो गया है। यदि इन स्थानों का बेहतर ढंग से सुधार नही किया जाता है, तो बड़ी अनहोनी हो सकती है।