October 2, 2024

कई घंटों तक रहता हैं फॉल्ट, फिर शुरू होता मेंटेंनेंस का कार्य

0 विभाग में अमला है सीमित और दायरा है बड़ा
कोरबा। गर्मी बढ़ते ही हर रोज शहर में बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है। कहीं 10 मिनट के लिए तो कहीं आधे घंटे के लिए। ग्रामीण क्षेत्रों में तो दो से तीन दिन बाद ही बिजली बहाल हो पा रही है। सबसे बड़ी परेशानी फॉल्ट ढूंढने को लेकर हो रही है। कई घंटों तक स्टाफ फॉल्ट तलाशता रहता है।
बिजली की हाईटेंशन और लो टेंशन टीमों में समन्वय की भी कमी स्पष्ट तौर पर सामने आ रही है। बीते 10 साल में मेंटेनेंस और लाइन ठीक करने के नाम पर करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं उसके बाद भी फॉल्ट ढूंढने में घंटों लग जाते हैं। गर्मी में लोड बढ़ने की वजह से व्यवस्था लचर होनी लगी है। शहर के दर्री, पाड़ीमार, तुलसीनगर जोन के वार्डों में समस्या बनी हुई है। हर जोन में गिनती के ही स्टॉफ हैं। किसी जोन में लाइन सुधारने के लिए 8 कर्मी है तो कहीं बड़ा फाल्ट होने पर तीन तो वहीं छोटा फाल्ट होने पर दो लोगों की टीम बनाकर काम लिया जा रहा है। सभी एरिया इतने बड़े हैं कि एक साथ 30 से 40 शिकायतें आ जाती हैं। ऐसे में सभी जगह मेंटेनेंस होने में कई घंटे लग जाते हैं। बिजली की अव्यवस्था की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पताल, बैंक व पुलिस चौकी में कामकाज पूरी तरह से ठप हो जाता है। ग्रामीणों को इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है। छोटे व्यापारियों को भी इससे नुकसान हो रहा है। हर साल की यह समस्या जस की तस बनी हुई है।

ग्रामीण क्षेत्रों की तो कोई सुनने वाला नहीं
सबसे बुरा हाल ग्रामीण क्षेत्रों का है। यहां तो एक बार बिजली गई तो दो से तीन दिन बाद ही बिजली आती है। विशेषकर रात के समय अगर बिजली गुल हुई तो शिकायत करने के बाद सुबह कर्मी आते हैं। फिर पूरे दिन फॉल्ट ढूंढा जाता है। अगले दिन सुधार के लिए मौके पर पहुंचते हैं। बड़ा फॉल्ट आने पर जैसे खंभे बदलने की जरूरत है या तार नया लगाना है तो फिर तीन से चार दिन लग जाता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में घंटों या फिर कई दिन तक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो पाती है।

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