वेदांता-बालको की ‘परियोजना आरोग्य’ से आई स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता
कोरबा 8 नवंबर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने सामुदायिक विकास परियोजना ‘आरोग्य’ के अंतर्गत अपने संयंत्र के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता के लिए बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए हैं। माह अक्टूबर में लगभग 5000 नागरिकांें को सैनिटेशन और सुरक्षा किट के अंतर्गत साबुन, मास्क और सैनिटाइजर वितरित किए गए। नागरिकों को वैश्विक महामारी से सुरक्षा के प्रति अनेक आयामों से परिचित कराया गया।
ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा की उपलब्धता वेदांता-बालको के सामुदायिक विकास कार्यों में सर्वोपरि है। वेदांता-बालको की आरोग्य परियोजना के अंतर्गत दो वेदांत ग्रामीण चिकित्सालय संचालित हैं। इन चिकित्सालयों के संचालन का उद्देश्य ग्रामीणों को झोला छाप नीम-हकीमों से मुक्ति दिलाना है। चलित चिकित्सा शिविर, मौसमी बीमारियों से बचाव और जागरूकता शिविर, मातृ-शिशु स्वास्थ्य जागरूकता अभियान, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ समन्वयन, एचआईव्ही एड्स के प्रति जागरूकता आदि अनेक ऐसे कार्यक्रम हैं जिनके माध्यम से ग्रामीणों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है। सैनिटेशन और सुरक्षा किट के वितरण पर ग्रामीणों ने बालको प्रबंधन के आभार जताया है।
कोविड-19 महामारी की रोकथाम की दिशा में वेदांता-बालको ने जिला प्रशासन के मार्गदर्शन और समन्वयन में कोविड अस्पताल की स्थापना में मदद की। मास्क और पीपीई निर्माण के माध्यम से महिला स्व सहायता समूहों की सदस्यों के लिए आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए। जन प्रतिनिधियों के सहयोग से जरूरतमंदों को सूखा राशन और तैयार भोजन उपलब्ध कराए गए। राज्य और जिला प्रशासन ने कोरोना वाइरस के प्रति जागरूकता की दिशा में वेदांता-बालको संचालित कार्यों की खूब प्रशंसा की है।
बालको की ओर से शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, आधारभूत संरचना विकास, महिला सशक्तिकरण, जैव-निवेश, आजीविका आदि क्षेत्रों में परियोजनाएं क्रियान्वित हैं। परियोजनाओं के दायरे में छत्तीसगढ़ के लगभग 1.50 लाख जरूरतमंद शामिल हैं। 300 स्व सहायता समूहों के माध्यम से लगभग 4000 महिलाओं के स्वावलंबन एवं सशक्तिकरण में मदद मिल रही है। लगभग 500 एकड़ भूमि पर किसान आधुनिक तकनीकों की मदद से खेती कर रहे हैं। वेदांता स्किल्स स्कूल ने छत्तीसगढ़ के लगभग 9000 जरूरतमंद युवाओं को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनने में मदद की है।