गजब है: सुनवाई तिथि कल, उससे पहले केस निराकृत होने की खबर हो गई प्रकाशित
न्यूज एक्शन। भारत लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका है। मीडिया को चौथा स्तंभ माना जाता है। विधायिका जहां कानून बनाती है। कार्यपालिका उन्हें लागू करती है। न्यायपालिका कानूनों की व्याख्या करती है। उनके उल्लंघन करने वालों को सजा देती है। वहीं मीडिया अधिकारों व शक्ति के दुरूपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अगर मीडिया अपने मार्ग से भटक जाए तो यह चिंता का विषय है। इन दिनों कोरबा के एक प्रकरण में मीडिया की भूमिका पर प्रश्च चिन्ह लगा हुआ है।
प्रकरण यह है कि दान में मिली जमीन को शासकीय भूमि में स्थानांतरित कर करोड़ों की बिल्डिंग बनाने के मामले में माननीय हाईकोर्ट बिलासपुर में संतोष गोयल द्वारा दायर प्रकरण एवं कमलजीत शर्मा के जनहित याचिका को हाईकोर्ट द्वारा निराकृत किए जाने की खबर कुछ राष्ट्रीय अखबारों मेंं प्रमुखता के साथ प्रकाशित की गई है। एक अखबार ने जहां कोरबा संस्करण से खबर 14 अक्टूबर को प्रकाशित किया। वहीं एक राष्ट्रीय अखबार ने बिलासपुर संस्करण व एक अन्य राष्ट्रीय अखबार ने कोरबा संस्करण से 15 अक्टूबर को खबर प्रकाशित किया गया है। जबकि वादी संतोष गोयल के अधिवक्ता संदीप दुबे ने अखबारों मेंं प्रकाशित इस खबर को लेकर हैरानी जाहिर की है। अधिवक्ता श्री दुबे का कहना है कि इस प्रकरण में 16 अक्टूबर को आगामी सुनवाई की तिथि है। यानि प्रकरण में कल सुनवाई होगी। इससे पहले ही दायर याचिका के निराकृत होने की खबर प्रकाशित कर दिया गया है। यह जांच का विषय है। श्री दुबे का कहना है कि अगर मामला निराकृत हो गया है तो फिर मामले में कल 16 अक्टूबर को सुनवाई कैसे हो सकती है। अधिवक्ता संदीप दुबे के इस बयान के बाद दायर याचिका को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। वादी संतोष गोयल का कहना है कि अगर माननीय हाईकोर्ट ने प्रकरण में कोई निर्णय या आदेश नहीं दिया है, इसके बाद भी अखबारों द्वारा खबर प्रकाशित किया गया है तो संबंधित अखबारों के खिलाफ माननीय हाईकोर्ट स्वत: संज्ञान ले सकती है। वादी का कहना है कि उनके द्वारा भी संबंधित अखबारों के खिलाफ आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा।