December 23, 2024

हरियाणा के किसानों ने कृषि मंत्री तोमर से की मुलाकात.. केंद्र के कृषि बिल का समर्थन करते हुए बिल वापस नही लेने किया निवेदन

नई दिल्ली 8 दिसम्बर। हरियाणा के किसान संगठनो ने कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाक़ात कर कृषि बिलों को किसानों के हित में बताया और सरकार से पंजाब के किसानों की माँग के विरुद्ध कृषि बिल वापस नहीं लेने की गुज़ारिश की है.

गुजरात के सभी किसान और उत्तर प्रदेश के सभी किसान और उनके संगठन ने किसान कानून के समर्थन में हैं. दर असल अब सभी किसान चाहते हैं कि 70 साल से वह पुरानी व्यवस्था को देख चुके है. इन 70 सालों से किसानों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो अब सरकार को किसानों के आय को बढ़ाने के लिए नया कानून और नया तरीका अपनाना ही चाहिए.
अब किसान को भी एक आजादी मिलनी चाहिए कि वह अपनी उपज कहां बेच रहा है. नए किसान कानूनों को लेकर सोशल मीडिया पर दिख रहे भ्रम का भी जवाब दिया गया है.

अफवाह नंबर एक
किसान की जमीनों का मालिक कंपनियां हो जाएंगे

यह टोटल झूठ है कि बिल में एकदम साफ लिखा है कि कोई भी एग्रीमेंट किसान के लैंड पर नहीं होगा बल्कि वह किसान के ऊपज पर होगा यानी कि यदि कोई किसान किसी भी कंपनी के साथ कांटेक्ट फॉर्मिंग करता है तो वह कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ उपज पर होगा जमीन पर वह कॉन्ट्रैक्ट मान्य नहीं होगा.

अफवाह नम्बर 2
कम्पनियों को ही भंडारण की सुविधा मिलने से जमाखोरी बढ़ेगी.

नए किसान कानून में यह छूट दिया गया है कि किसान यदि चाहे तो वह अपनी उपज को जब चाहे जहां चाहे बेच सकता है. यानी यदि उसे अपना उपज खुद ही स्टोर करके रखना है तो रख सकता है.

अफवाह नम्बर 3
मंडिया खत्म हो जाएंगे

यह भी बिल्कुल झूठ है सरकार ने मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए 800 करोड़ दिए हैं. मंडियों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है क्योंकि सरकार पुरानी व्यवस्था को बिल्कुल भी खत्म नहीं कर रही है बल्कि सरकार यह चाहती है कि दोनों व्यवस्था समानांतर चलती रहे ताकि किसान का शोषण ना हो सके.

अफवाह नम्बर 4
किसान गुलाम हो जाएंगे

और एक सबसे बड़ा झूठ फैलाया जा रहा है कि से किसान गुलाम हो जाएंगे यह टोटल झूठ है किसान कभी गुलाम नहीं होगा. गुजरात में कांट्रैक्ट फार्मिंग व्यवस्था बहुत पहले से है आलू चिप्स बनाने वाली तमाम कंपनियां गुजरात के किसानों से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करवाती हैं किसान बहुत खुश हैं उन्हें अपनी आलू का बहुत अच्छा दाम मिलता है गुजरात में एक भी किसान पेप्सी या फिर बालाजी वेफर या हाई फन फूड कंपनी का गुलाम नहीं बना जबकि गुजरात में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग 2006 से ही चल रही है.

नये किसान कानूनों में यह भी व्यवस्था दी गई है कि यदि कुछ किसान मिलकर अपना एक सहकारी यूनियन बनाते हैं और यदि वह खुद ही अपनी उपज की मार्केटिंग करना चाहते हैं भंडारण यानी स्टोर करना चाहते हैं तो उन्हें न सिर्फ सरकार से सब्सिडी मिलेगी बल्कि उन्हें हर तरह से बढ़ावा दिया जाएगा ठीक इसी पैटर्न पर गुजरात में पशुपालकों की स्थिति बहुत बेहतर हुई है आज गुजरात के पशु पालक लाखों रुपए महीना कमा रहे हैं तमाम सहकारी डेरिया हैं जो उन्हें हर तरह से मदद करती हैं और उनके दूध को खरीदती हैं और पशुपालकों के खाते में डायरेक्ट पैसा ट्रांसफर होता है

अफवाह नंबर 5 न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी खत्म हो जाएगी

एक और जो बहुत बड़ा अफवाह फैलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन कीमत यानी एमएसपी खत्म हो जाएगी यह भी झूठ है एमएसपी खत्म नहीं होगी.

अफवाह नंबर 6 किसान अदालत नहीं जा सकेगा

नए किसान कानूनों में यह भी व्यवस्था दी गई है कि यदि कोई कंपनी कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन करती है. तब किसान उसे अदालत में भी चैलेंज कर सकता है और ऐसे केस में कंपनी को अलग-अलग शर्तों का उल्लंघन करने के हिसाब से अलग-अलग जुर्माना देना पड़ेगा.

गुजरात में कुछ किसानों ने पेप्सी से कॉन्ट्रेक्ट किए बिना ही पेप्सी कंपनी द्वारा पेटेंट हासिल आलू जो चिप्स के लिए सबसे बढ़िया होता है जिसका स्टार्च कांटेक्ट बिल्कुल चिप्स के हिसाब से होता है और जिस आलू को पेप्सी कंपनी ने ही विकसित किया है. वह आलू का बीज कहीं से हासिल करके खेती किया तो पेप्सी कंपनी ने उन किसानों के ऊपर कोर्ट केस किया. किसान खुद अदालत में गए ना सिर्फ पेप्सी कंपनी द्वारा किया गया कोर्ट केस रद्द हुआ, बल्कि पेप्सी कंपनी को किसानों को अदालत के खर्चे भी देने पड़े. आज किसी को अपना सामान कहीं भी बेचने की छूट होनी चाहिए लेकिन सिर्फ किसान ऐसा है कि जो अपने उपज को मंडी समिति के अलावा कहीं और नहीं बेच सकता वहां उसे दलालों के चक्कर में फंसना और मंडी इंसपेक्टर की जी हुजूरी मंडी और शुल्क इत्यादि दे देना होता है और उसे अपनी मनमर्जी कीमत नहीं मिल पाती.

Spread the word