पंचायतों के दागियों पर क्या 2020 में हो सकेगी कार्रवाई, योजना आयोग के लाखों रुपए डकारने का आरोप
कोरबा 24 दिसंबर। पांचवीं अनुसूची में शामिल कोरबा जिले की सभी पंचायतों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के सरपंच काबिज हैं। पंचायतों का कामकाज सरकारी तौर पर सचिव संभालते हैं। कई बड़ी पंचायतों में सरकार से प्राप्त भारी
भरकम धनराशि सचिवों ने डकार ली है। कार्रवाई के प्रस्ताव दिए गए हैं लेकिन अब तक स्थिति ढाक के तीन पात वाली है।
पाली विकासखंड के जेमरा पंचायत के सचिव को ऐसे ही एक मामले में निलंबित किया जा चुका है। यहां 18 लाख का गोल माल होने की शिकायत पर धरना प्रदर्शन किया गया। प्रशासन ने यह राशि सचिव और सरपंच से वसूलने के लिए प्रक्रिया
शुरू की है। विकासखंड कोरबा की सबसे बड़ी पंचायत रजगामार में आर्थिक अनियमितता व्यापक पैमाने पर की गई है। भारत सरकार के योजना आयोग के अलावा प्रदेश सरकार से दी गई लाखों की राशि यहां आसान तरीके से हजम कर ली गई। सचिव के साथ.साथ सरपंच भी लपेटे में हैं। पूर्व विधायक ने दागियों को संरक्षण देने की कोशिश की। चुनाव के बाद पासा पलट गया। मौजूदा विधायक और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने इस सिलसिले में प्रभावी कार्रवाई करने के लिए उच्च स्तर पर पत्राचार किया। दिलचस्प बात यह है कि मामला अभी भी अटका हुआ है। यही नहीं सांसद आदर्श ग्राम तिलकेजा में भी बड़े स्तर पर घोटाले को अंजाम दिया गया। यहां भी योजना आयोग के द्वारा प्रदत्त राशि के अलावा अन्य मदों से उपलब्ध धनराशि का उपयोग करने के बजाय इसे डकारने का काम किया गया। पूर्ववर्ती मुख्य कार्यपालन अधिकारी की भूमिका इस सिलसिले में महत्वपूर्ण बताई जा रही है। लगातार बनते दबाव के बाद पिछले दिनों यहां के सचिव को हटा तो दिया गया लेकिन आर्थिक मसलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। ऐसा ही एक मामला विकासखंड कोरबा के सतरेंगा पंचायता का बताया जा रहा है। वहां के सचिव को अतिरिक्त प्रभार देने के साथ डीएमएफ के कार्यों की भी जिम्मेदारी कुछ महीने पहले से दे दी गई। यहां कराए जा रहे कार्य चूंकि सीधे रायपुर से जुड़े हुए थे इसलिए शुरुआती स्तर पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। इसलिए निचले स्तर पर काम करने वालों को मनमानी करने के बेहतरीन अवसर प्राप्त हो गए। सवाल यह है कि ऐसे सभी दागी 2020 मेंं निपटेंगे या बचेंगे।