October 5, 2024

गांव में विकास नहीं, सचिव के हो रहे वारे-न्यारे

न्यूज एक्शन। हरदीबाजार अंतर्गत ग्राम पंचायत हरदीबाजार का सचिव सुर्खियों में है। उसकी सुर्खियों का कारण उसके द्वारा कराया गया विकास कार्य नहीं बल्कि उसकी करोड़ों की संपत्ति है। ग्राम पंचायत के विभिन्न गांवों में विकास कार्य लटका हुआ है और सचिव मकान पे मकान बनाने के साथ अपने वाहनों की संख्या बढ़ाते जा रहा है। गांव में विकास कार्य नहीं हो रहा है और सचिव के वारे न्यारे हो रहे हैं। ऐसे में उसके बेहिसाब संपत्ति की जांच महसूस होने लगी है। ग्रामीणों द्वारा उसके खिलाफ पूर्व में शिकायत भी की जा चुकी है। मगर जांच में राजनीतिक संरक्षण आड़े आ गई। लिहाजा अब तक सचिव जांच के लपेटे में नहीं आया है।
ग्राम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत हरदीबाजार का सचिव गिरवर प्रसाद यादव गांव के विकास के बजाए अपना विकास करने में लगा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में धांधली कर सचिव के द्वारा अपनी जेब भर ली गई है। ग्राम पंचायत सचिव गिरवर प्रसाद यादव के पास पहले से ही रेंकी में लाखों की लागत से बना 4 मकान है। अब उसके द्वारा एक और बिल्डिंग का निर्माण कराया जा रहा है। 6 माह पहले ही उसने दो टे्रलर खरीदा है। एक चार पहिया वाहन उसके पास पहले से ही मौजूद है। जिस रफ्तार से सचिव की संपत्ति में बढ़ोत्तरी हुई है उसे देखकर ग्रामीण भी हैरत में हैं। ग्राम पंचायत में विकास कार्य के लिए आबंटित लाखों रुपए में गड़बड़ झाला कर यह संपत्ति बनाए जाने की चर्चा गांव में जमकर हो रही है। बताया जाता है कि भाजपा शासनकाल के दौरान सचिव ने करोड़ों रुपए बखूबी अंदर किए हैं। भाजपा शासनकाल में राजनीतिक संरक्षण के कारण उस पर कार्रवाई नहीं हुई, ऐसा भी ग्रामीण मानते हैं। यही कारण है कि ग्रामीणों द्वारा किए गए शिकायत के बाद भी सचिव पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन एवं क्षेत्र में कांग्रेसी विधायक होने के नाते ग्रामीण यह उम्मीद जता रहे हैं कि सचिव के कारगुजारियों की जांच होगी। अगर जांच होगी तो निश्चित ही ग्रामीणों के कहे मुताबिक लाखों-करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है।

भाई है ठेकेदार
ग्राम पंचायत सचिव गिरवर प्रसाद यादव का भाई श्रवण कुमार यादव पेशे से ठेकेदार है। बताया जाता है कि ग्राम पंचायत के अधिकतर काम अपने ठेकेदार भाई को सचिव दिला देता है। ठेकेदार भाई को ठेका मिल जाने से उनके दोनों हाथ घी के कढ़ाई मेंं चला जाता है। यही कारण है कि अल्पकाल में ही उनकी संपत्ति में बेतहासा वृद्धि हो गई है। ग्राम पंचायत में कराए गए कार्यों व ठेका आबंटन की जांच कराई जाए तो इस भ्राता प्रेम के गठजोड़ से पर्दा उठ सकता है।

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