December 23, 2024
प्रस्तुति- संजना तिवारी

हमारा प्रेम तुम्हारी घृणा

तुम्हारी सारी चालाकियां
धरी की धरी रह जाएंगी
तुम देख लेना
हमारा प्रेम तुम्हारी घृणा पर भारी पड़ेगा

हम तुम्हारे नापाक दिवास्वप्नों में
बज्र की तरह आएंगे
हम तुम्हारे इरादों पर
प्रश्न की तरह आएंगे
तुम्हारे हाथों में हथियार होगा
हमारे हाथों में कविता
तुम्हारी ज़ुबान पर ज़हर होगा
हमारे हाथों में फूल
तब हाथों में हाथ डाले लोगों से
तुम्हें डर लगेगा
और उससे भी ज्यादा
तुम्हें यहां की मूर्तियां डराएंगी

जानते हो बाबू!
हमारे शहर में मई की कड़कड़ाती धूप में भी
डंठलों पर दहकता है लाल-लाल पलाश
जब-जब हावड़ा ब्रिज से कोई नारा गूंजता है
हुगली झुक कर
उसे सलामी देती हुई गुजरती है
एक बच्चे की कोमल मुस्कान पर
अभी भी ठहर जाता है हमारा शहर

देख लेना
तुम्हारे सारे समीकरणों को
बंगाल की खाड़ी के
किसी अंधेरे गर्त में जगह मिलेगी
तुम्हारे बोए चरस उगाने से
हमारी धरती अस्वीकार करती है
हमारा शहर तुम्हारी प्रयोगशाला बनने से इंकार करता है।

सूत्र परिवार जशपुरनगर, छत्तीसगढ़ में
Spread the word