बोधघाट परियोजना के विरोध में लामबंद हो रहे बस्तर के आदिवासी
दन्तेवाडा 9 फरवरी। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर बोधघाट बांध परियोजना (पावर प्रोजेक्ट) का विरोध शुरू हो गया है।दंतेवाड़ा की सीमा से लगे गांव में रविवार से ही 5 जिलों के 56 गांवों के आदिवासी और ग्रामीण एकजुट हो गए हैं। आदिवासियों का कहना है कि हम प्राण दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे। यह बांध हमारे खेत और घर को बर्बाद कर देगा। जगदलपुर से करीब 100 किमी दूर इंद्रावती नदी पर बांध बनाया जाना है। हालांकि 8 साल पहले निर्माण कार्य बंद करना पड़ा था
मां दंतेश्वरी जनजाति हित रक्षा समिति की ओर से ग्रामीण बीजापुर के हितलकूडूम गांव में चर्चा कर रहे हैं। तीन दिन चलने वाली इस परिचर्चा के दौरान जो निर्णय होगा, उसके अनुसार आगे की रणनीति तय की जाएगी। इसमें दंतेवाड़ा सहित बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर और बीजापुर जिले के हजारों ग्रामीण शामिल हो रहे हैं। पहले दिन ही करीब 1 हजार ग्रामीण परियोजना का विरोध करने परिचर्चा में शामिल हुए हैं।
समिति के अध्यक्ष सुखमन कश्यप बताते हैं कि बांध के विरोध में हम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष सब से मिले थे। दंतेवाड़ा में आकर CM ने कहा है, बोधघाट बांध किसी के विरोध में नहीं रुकेगा। हम मुआवजा नहीं देंगे, जमीन देंगे। सुखमन कहते हैं, पर इससे 56 गांवों के खेती को नुकसान होगा। वैसी जमीन नहीं मिलेगी। इसलिए हम जाना नहीं चाहते। यहां बोर नहीं है, बारिश से ही खेती होती है। 12 साल में होने वाला देवी-देवता पूजन भी करेंगे।