पद्मश्री श्यामलाल चतुर्वेदी की जयंती: सांसद साव ने कहा- छत्तीसगढ़ी साहित्य और पत्रकारिता में पंडित जी का योगदान नहीं भुलाया जा सकता, पीढ़ियां अनुकरण करेंगी
बिलासपुर 21 फरवरी। पद्मश्री पं. श्यामलाल चतुर्वेदी की 96वीं जयंती पर शनिवार को राजनेताओं और पत्रकारों ने उनका स्मरण किया। इस दौरान सांसद अरुण साव ने कहा, छत्तीसगढ़ी साहित्य, पत्रकारिता और समाज सेवा के क्षेत्र में पंडित जी ने अविस्मरणीय योगदान दिया। छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास, उन्नयन के लिए उनके कार्य, व्यक्तित्व, कृतित्व का पीढ़ियों तक अनुकरण किया जाएगा। वे जितने प्रखर लेखक थे, उतना ही वाणी में बेबाकपन था।
इससे पहले पं. श्याम लाल चतुर्वेदी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इसके बाद हुई गोष्ठी में नगर विधायक शैलेष पांडेय ने कहा, पं. चतुर्वेदी ने पत्रकारिता, साहित्य के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को अपूर्व योगदान दिया। छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास के लिए उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। राजभाषा आयोग अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने छत्तीसगढ़ी के लिए कार्य किया। उनका व्यक्तित्व में हर किसी के लिए बहुत अपनापन था।
कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री तक सीधा संवाद करते और काम को महत्व देते थे
मेयर रामशरण यादव ने कहा कि पं चतुर्वेदी और पूर्व मंत्री स्व.बीआर यादव के सानिध्य में रहने का लंबा अवसर मिला। कंधे पर लटकता झोला और साइकिल चतुर्वेदीजी के सादगीपूर्ण जीवन का अंग था। सामान्य कार्यकर्ता व मुख्यमंत्री तक से सीधे संवाद करते और काम को महत्व देते थे। शहर के प्रति उनकी चिंता, विकास के लिए पहल और उनकी साहित्य साधना अविस्मरणीय है। उनके आदर्शों पर चल कर समाज की बेहतर सेवा की जा सकती है।
पं चतुर्वेदी, विप्रजी, प्यारेलाल गुप्त साहित्य के गौरव
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष रहे डा. विनय पाठक ने बताया कि पद्मश्री पं चतुर्वेदी की ‘षष्ठीपूर्ति के अभिनंदन ग्रंथ’ जिसका संपादन उन्होंने किया था, उसके विमोचन में देश के नामचीन साहित्यकार पहुंचे थे। छत्तीसगढ़ी साहित्य के क्षेत्र में पं चतुर्वेदी, द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र और प्यारे लाल गुप्त जी का देशभर में नाम था। उन्हें पं चतुर्वेदी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर दो छात्रों को PHD कराने का गौरव हासिल हुआ।