मनरेगा कार्यों का भुगतान वनमंडल से सीधे श्रमिकों के खाते में किये जाने की मांग
कोरबा 20 मार्च। वन विभाग में मनरेगा से कराये जा रहे कार्यों का भुगतान वनमंडल से सीधे श्रमिकों के खाते में किये जाने की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ फारेस्ट रेंजर एसोसिएशन द्वारा प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख तथा वनमंडल अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। जिसमें व्यवस्था में सुधार किये जाने की मांग की गई ताकि पारदर्शिता बन सके।
यह जानकारी देते हुए एसोसिएशन के बिलासपुर संभागीय अध्यक्ष निश्चल शुक्ला ने आगे बताया कि पूरे देश में मनरेगा पद्धति से बैंक खाते में आरटीजीएस के माध्यम से सफलतापूर्वक भुगतान श्रमिकों के खाते में हो रहा है। इसी प्रक्रिया के द्वारा वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ में लागू करना आवश्यक है। वर्तमान में चालू प्रक्रिया में वन परिक्षेत्र स्तर से कार्य संपादित कर प्रमाणक उप वनमंडल में प्रति परीक्षण हेतु भेजा जाता है। उप वनमंडलाधिकारी द्वारा सत्यापन उपरांत वनमंडल अधिकारी को धनादेश हेतु प्रेषित किया जाता है, तब डीएफओ के द्वारा धनादेश परिक्षेत्र अधिकारी के खाते में आरटीजीएस किया जाता है फिर परिक्षेत्र अधिकारी श्रमिकों के खाते में प्रेषित करते हैं। जबकि वनमंडल से मनरेगा तर्ज पर सीधे श्रमिकों के खाते में भुगतान किया जा सकता है। वनमंडल से सीधे भुगतान होने पर शीघ्र एवं सुगमतापूर्वक कार्य होगा। सामाग्री क्रय का अधिकार वनमंडल अधिकारी को है। क्रय का लेखा-जोखा वनमंडल स्तर पर संधारित होता है। श्रमिक भुगतान रेंज से हो रहा है। ऐसे में स्वीकृत राशि एवं भुगतान राशि में बार-बार मिलान करना पड़ता है तथा त्रुटि होती है। वरिष्ठ अधिकारी जानकारी मांगते हैं तो रेंज तथा वनमंडल दोनों के मिलान के बाद ही जानकारी दिया जाना संभव होता है जिससे काफी परेशानी होती है। क्योंकि लेखा दो जगह पर रहता है। लेखा एक जगह संधारित होने पर परिक्षेत्र अधिकारी को क्षेत्रीय कार्यों हेतु समय मिलेगा। जिससे गुणवत्तापूर्वक कार्य होगा। इस संबंध में रेंजर एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख को पत्राचार किया जा चुका है जिसमें मांग की गई है कि नये वित्तीय वर्ष 2021-22 से शत-प्रतिशत मनरेगा पद्धति से भुगतान सुनिश्चित किया जाए तथा लेखा का संधारण भी एक ही जगह पर किया जाए। जिससे जानकारी देने में सरल होगी तथा श्रमिकों को भुगतान भी शीघ्र होगा। अधिकांश परिक्षेत्र स्तर पर इंटरनेट की समस्या रहती है। वनमंडल जिला स्तर पर होने के कारण नेट की समस्या नहीं रहती।