November 22, 2024

सरकारी जमीन की अफरा तफरी का मामला एक साल से लंबित, राजस्व विभाग नहीं कर रहा सीमांकन

कोरबा 24 मार्च। जिले के ग्राम रजगामार में सरकारी जमीन अफरा तफरी का मामला 1 साल से लटका पड़ा हुआ है लेकिन उस मामले को लेकर राजस्व विभाग रुचि नहीं दिखा रही है जिसके कारण शिकायतकर्ताओं को न्याय नहीं मिल पा रही है वही सरकारी जमीन की अफरा तफरी कर बेचने वाले दोषी पटवारी दामोदर तिवारी एवं जमीन दलाल सत्यनारायण मिश्रा समेत उनके नुमाइंदों पर अपराधी मामले दर्ज नहीं हो सके हैं।जबकि इसका खुलासा विभाग के जांच से हो सकेगा लेकिन विभाग इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है जिसके कारण शिकायत होने के 1 साल बीत जाने के बाद भी उस जमीन का सीमांकन नहीं हो सका आखिर क्यों इस भूमि की सीमांकन करने में राजस्व विभाग रुचि नहीं दिखा रही है यह समझ से परे है लेकिन शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यदि इस जमीन का सीमांकन होता है तो सच्चाई खुद-ब-खुद सामने आ जाएगी लेकिन राजस्व विभाग अपने अधीनस्थ कर्मचारी एवं विभाग की होने वाली बदनामी को बचाने इस जमीन पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं कर रही है जिसके कारण ऐसे अपराधियों के हौसले बुलंद होते नजर आ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले में लगातार जमीन फर्जीवाड़ा का मामला बढ़ता ही जा रहा है वही रातों-रात जमीन का स्थान बदलना कोरबा शहर के लिए आम हो चुका है मगर अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी जमीन रातों रात स्थान बदल रही है।

ऐसा ही एक मामला रजगामार का आया है जहां के तत्कालीन पटवारी दामोदर प्रसाद तिवारी के द्वारा कथित जमीन दलाल सत्यनारायण मिश्रा एवं उनके नुमाइंदों से सांठगांठ कर सरकारी जमीन को निजी भूमि होना बताकर फर्जी नजरी नक्शा तैयार कर विक्रय करा दिया है जबकि उस जमीन पर यहां के पूर्वज छुईडोढा बस्ती में रहने वाले लोगों की निस्तारी भूमि से लगा हुआ बूढ़ादेव स्थल की भूमि है जहां आज भी पूजा पाठ किया जाता है। वही पूर्व में शासकीय मद से निस्तार के लिए हैंडपंप भी खुद आ गया है जो वर्तमान में मौजूद है।

ग्रामीणों की माने तो इस मामले की शिकायत तहसील से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक लिखित में कई बार की गई है शिकायत में सीमांकन के लिए विभाग को तलब भी किया गया लेकिन विभागीय जांच अभी भी लंबित है वर्तमान एसडीएम सुनील कुमार नायक ने पूर्व में ग्रामीणों को सीमांकन करने टीम बनाने की बात कही थी लेकिन 1 साल बीत गए सीमांकन नहीं हो सका ग्रामीणों का कहना है कि विभाग खुद इस जमीन पर सीमांकन नहीं कराना चाहती क्योंकि सीमांकन होने से इस मामले का पर्दाफाश हो जाएगा ।

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