चाइल्ड लाइन ने मुहूर्त के कुछ घंटे पहले रोकवाया किशोरी का बाल विवाह
कोरबा 28 अप्रैल। परिजनों ने अपनी नाबालिग बेटी के हाथ पीले करने की पूरी तैयारी कर रखी थी। साढ़े 17 की दुल्हन सज-धजकर तैयार थी और अब केवल बारातियों के साथ दूल्हे का इंतजार किया जा रहा था। हेल्पलाइन 112 पर यह सूचना महिला एवं बाल विकास विभाग को मिली और समय रहते चाइल्ड लाइन व पुलिस के साथ टीम गांव पहुंच गई। इस तरह मुहूर्त के कुछ घंटे पहले ही यह बाल विवाह रोक लिया गया। परिजनों समझाइश दी गई कि बेटी के बालिग होने के बाद ही उसकी शादी करें।
शादी के लिए निर्धारित न्यूनतम 18 साल की आयु से कम होकर भी किशोरी की शादी कराने जा रहे परिवार का यह मामला ग्राम उड़ता का है। किशोरी का विवाह कसाइपाली के युवक से तय किया गया था और बारात आने वाली थी। महिला एवं बाल विकास विभाग के पाली परियोजना अंतर्गत इस गांव में लाकडाउन के बीच परिजन साढ़े 17 साल की किशोरी की शादी कर रहे थे। किसी जागरूक ग्रामीण ने इस बात की सूचना डायल 112 को दी। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास विभाग पाली के परियोजना अधिकारी दीप्ति पटेल तक पहुंची। जानकारी मिलते ही विभाग की टीम ने चाइल्ड लाइन एवं पुलिस को अलर्ट किया गया। सेक्टर पर्यवेक्षक अनुपमा अग्रवाल को चाइल्ड लाइन टीम के सदस्य उमा प्रजापति, अनिल पोर्ते व पुलिस के साथ तत्काल कार्रवाई के लिए भेजा गया। संयुक्त टीम आरक्षक प्रवीण नरडे, संजय साहू के साथ देर उड़ता पहुंची। जांच में पता चला कि कन्या की आयु पांच माह कम थी। परिजनों ने कक्षा दसवीं की अंकसूची दिखाई जिसमें जन्मतिथि 23 नवंबर 2003 दर्ज था। इस तरह शादी से ठीक पहले किशोरी का बाल विवाह रोक लिया। परिजनों को विवाह के लिए कम से कम 18 वर्ष की निर्धारित आयु पूर्ण होने के बाद ही शादी कराने का शपथ पत्र लिया गया। नियम तोड़ने वैद्यानिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
महिला एवं बाल विकास विभाग पाली की परियोजना अधिकारी दीप्ति पटेल ने बताया कि ग्राम उड़ता में बाल विवाह की सूचना मिली थी। विवाह स्थल पर टीम भेजकर तत्काल शिकायत की जांच कराई गई। शिकायत सही पाई गई है। कन्या की आयु विवाह के लिए निर्धारित आयु से पांच माह कम थी। परिजनों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद ही शादी करने की समझाइश दी गई है। बाल विवाह की सूचना लोग बेझिझक देंए उनका नाम पता मोबाइल नंबर सब गोपनीय रखा जाता है। जन सामान्य के सहयोग से प्रशासन जिले में बाल विवाह की सामाजिक बुराई को रोकने में सदैव तत्परता से कार्य करता रहेगा।
समाज में बाल विवाह की सामाजिक कुरीति को समाप्त करने कड़े कानून बनाए गए हैं। देशभर में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। इसके तहत दूल्हे की उम्र 21 साल और दुल्हन की न्यूनतम 18 साल की उम्र से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाता है। तय उम्र से कम आयु में शादी में सहयोग देने वालों पर दो साल की जेल या एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है। परिस्थितियों के आधार पर दोनों सजा का भी प्रावधान है। यहां तक कि बाल विवाह कराने वाले पंडित, पादरी व अन्य पर भी इतने ही कठोर दंड का प्रावधान है।