November 7, 2024

एक नजर, तीन धमाकेदार खबर…

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सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की 84 के दंगों में क्या भूमिका होगी ?…2 करोड़ रुपए उन्हें वापस करने की मांग उठी, जो गुरुद्वारा साहिब कोविड सेंटर के लिए दिए थे

1984 में सिख विरोधी दंगो और कत्लेआम में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की क्या भूमिका रही होगी? इस संबंध में ऑल इंडिया सिख यूथ फेडरेशन के महामंत्री सतनाम सिंह गंभीर ने अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार हरप्रीत सिंह को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन द्वारा गुरुद्वारा साहिब में संचालित कोविड सेंटर के लिए बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन द्वारा दिए गए दो करोड़ रुपये वापस करने की मांग की है।

बकौल गंभीर, मेरा मक़सद 1984 क़त्लेआम के पीड़ित परिवारों को इंसाफ़ दिलाने का है। अमिताभ बच्चन द्वारा कोविड सेंटर को दो करोड़ रुपये देना और इस पर दिल्ली कमेटी के प्रधान मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा अमिताभ बच्चन की शान में कशीदे पढना यह साबित कर दिया कि 1984 क़त्लेआम की लड़ाई से कोई सरोकार नही हैं। सब जानते है की अमिताभ बच्चन ने इंदिरा गांधी की मौत के बाद 31 अक्टूबर 1984 को दिल्ली ऐम्स हॉस्पिटल के बाहर खून का बदला खून और इंदिरा के खून के छीटे सिखों के घरों तक पहुंचने चाहिए। उनका यह बयान दूरदर्शन के माध्यम से पूरे देश ने देखा था। साल 2011 जब अमिताभ बच्चन को विरासत ए खालसा के उदघाटन के लिए आमंत्रित किया तो अमिताभ बच्चन का सिखों ने परज़ोर विरोध किया था। इसके बाद अमिताभ बच्चन ने श्री अकाल तख़्त साहिब के जत्थेदार को पत्र लिख कर क़त्लेआम उसका हाथ ना होने की सफ़ाई दी थी। इसके बाद 1984 कत्लेआम की गवाह जगदीश कौर ने अमिताभ बच्चन के ख़िलाफ़ सारे सबूत दिये थे जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है और मामला आज भी विचाराधीन हैं। लगता हैं मनजिंदर सिंह सिरसा ने अकाल तख़्त साहिब और कत्लेआम में मारे गये पीड़ित परिवारों जो कि अभी तक इंसाफ़ की लड़ाई लड रहे है या जो इंसाफ की उम्मीद में दुनिया छोड़ चुके हैं। उनको नीचा दिखाकर अमिताभ बच्चन से पैसे लेकर उसको निजी तौर पर क्लीन चिट दे दी है। सतनाम सिंह गंभीर ने श्री अकाल तख़्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से अपील करते हुए कहा कि सरदार सिरसा को अकाल तख़्त साहिब तलब कर सिख मर्यादा के अनुसार कार्रवाई की जाए।

गुजरात में कोरोना से मची तबाही… अखबारों के आधे पन्‍ने शोक संदेशों से भरे

गुजरात में कोरोना महामारी से किस हद तक तबाही मची है, यह राज्य में प्रकाशित होने वाले अखबारों से लगाया जा सकता है। इनमें शोक संदेशों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। एक अखबार के भावनगर संस्करण में गुरुवार को 16 पन्नों के समाचार पत्र में आठ पन्ने शोक संदेश और श्रद्धांजलि से भरे हुए थे।

मृत्यु संदेशों की संख्या में वृद्धि उन आशंकाओं के बीच हो रही है कि विभिन्न कारणों से कोविड-19 के मामलों और मौतों की संख्या कम बताई जा रही है। इस गुजराती अखबार में गुरुवार को 238 शोक संदेश छपे जबकि दो महीने पहले यानी छह मार्च को केवल 28 शोक संदेश प्रकाशित हुए थे।

एक अन्य प्रमुख गुजराती अखबार ने खबर दी कि गुजरात के खेड़ा जिले में बुधवार को कोविड-19 के 12 मरीजों की मौत हुई जबकि राज्य सरकार ने मौतों की संख्या दो बताई। इसी प्रकार एक अन्य अखबार ने बुधवार को गांधीनगर में 25 लोगों के कोरोना वायरस से मौत की खबर प्रकाशित की इसके उलट राज्य सरकार ने बताया कि गांधीनगर में बुधवार को केवल एक मरीज की मौत कोविड-19 से हुई है। विपक्षी राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने बताया, सरकार कोरोना वायरस के मौतों को कम बता रही है ताकि लोगों से सच्चाई छिपाई जा सके।

देश -विदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या छुपायी जा रही, भारत में हुई इतने लोगों की मौत

वैश्विक महामारी के इस दौर में कई बार मरने वालों के आंकड़ों को छिपाए जाने का भी सरकार पर आरोप लगा है।
हाल ही में सामने आई एक स्टडी ने ऐसा दावा किया है, जो इन आरोपों को सही साबित कर रही है। दरअसल, स्टडी में कहा गया है कि भारत, अमेरिका समेत कई देशों में कोरोना से मरने वालों की संख्या कई गुना अधिक है। सरकारी आंकड़े काफी कम हैं। भारत में यह संख्या वास्तविक रूप से छह लाख से अधिक बताई गई है, जबकि सरकारी आंकड़ों की माने तो अब तक देश में दो लाख से ज्यादा मरीजों की कोविड-19 संक्रमण से मौत हो चुकी है।

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक एंड इवेल्यूऐशन (आईएचएमई) ने यह स्टडी की है, जिसमें दावा किया गया है कि कई देशों ने कोरोना मृतकों का आंकड़ा काफी कम करके दिखाया है। इसके अनुसार, कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए अमेरिका में 9 लाख से ज्यादा लोगों की संक्रमण की वजह से जान चली गई। जबकि सरकार ने यह आंकड़ा 5.7 लाख का बताया है। महामारी की वजह से दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा हुए भारत में कोरोना मृतकों का आंकड़ा 6.5 लाख बताया गया है, जबकि आधिकारिक रूप से यह 2.2 लाख ही है। इस हिसाब से तीन गुना ज्यादा लोगों की मौत कोरोना के चलते हुई है।

मैक्सिको ने जानकारी दी है कि उनके देश में कोरोना से 2.17 लाख लोगों की जान गई है, जबकि असल में यह संख्या 6.17 लाख है। वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आने के पीछे वजह बताई गई है कि ज्यादातर देशों में वे ही मौतें दर्ज हो पाती हैं, जोकि अस्पतालों में होती हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘रूस और मिस्त्र में भी कोरोना के सरकारी आंकड़े काफी गलत हैं। रूस में पांच गुना ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जोकि 1.09 लाख है। वहीं, मिस्त्र में यह संख्या 1.7 लाख तक हो सकती है, जोकि उसकी सरकारी संख्या की तुलना में 13 गुना ज्यादा है। हालांकि, रिपोर्ट में चीन का कोई जिक्र नहीं किया गया है। चीन में कोरोना से अभी तक 4,636 लोगों की जान गई है, लेकिन ज्यादातर देशों का मानना है कि चीन ने गलत आंकड़े पेश किए हैं। वास्तविक तौर पर कोरोना से चीन में बड़ी संख्या में जान गई है, लेकिन शी जिनपिंग सरकार ने आंकड़ों से खेल किया है।

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