September 12, 2024

डॉ.शाह ने ऑनलाइन चिल्ड्रेन्स पर्सनालिटी डेवलोपमेन्ट क्लास में तम्बाकू निषेध दिवस पर बिखेरी जागरूकता

कोरबा 3 जून। तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बाल्को कोरबा द्वारा ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से बिखेरी गई जागरुकता। उक्त ऑनलाइन क्लासेज़ में ना केवल बाल्को या कोरबा से बल्कि विश्व के कोने कोने से बच्चे ऑनलाइन क्लासेज का हिस्सा बनकर कार्यक्रम को बनाया सफल। इस संदर्भ में कार्यक्रम की होस्ट बीके विद्या बहन से हुई परिचर्चा में उन्होंने बतलाया कि विगत एक वर्ष से भी अधिक समय से ऑनलाइन ज़ूम एप्प के माध्यम से बच्चों हेतु निशुल्क ऑनलाइन चिड्रेन्स पर्सनालिटी डेवलोपमेन्ट क्लासेज का संचालन किया जा रहा है।

31 मई तम्बाकू निषेध दिवस के मद्देनजर हमने तम्बाकू के खिलाफ जनजागरूकता फैलाने के उद्देश्य से डॉ.रुपल शाह को अवेयरनेस फैलाने के उद्देश्य से आमंत्रित किये थे, उन्होंने बच्चों को विस्तार से तम्बाकू से होने वाले नुकसान के प्रति सबका ध्यान आकर्षित कियाए लोगों को तम्बाकू का सेवन जिंदगी में कभी ना किये जाने हेतु प्रेरित किया अपने वक्तव्य में उन्होंने बतलाया कि किस प्रकार तम्बाकू जैसे विषैले उत्पाद की वजह से हर साल 12 से 13 लाख लोग उससे उत्पन्न होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान से हाँथ धो बैठते हैं।तम्बाकू का सेवन लोग कई प्रकार से करते हैं कोई सिगरेट, बीड़ी, सिगार या हुक्का के माध्यम से तो वहीं कोई गुटखा, खैनी, पान इत्यादि के रूप में वैसे तो तम्बाकू का किसी भी प्रकार से सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही होता है। दरलसल जब कोई तम्बाकू या किसी भी तरह के व्यसन के उत्पाद का सेवन करता है, तो वह उसके ब्रेन के डोपामाइन केमिकल को रिलीज करता है यह वह केमिकल होते हैं जो हमें खुसी, आनंद की क्षणिक अनुभूति करवाते हैं। फिर उस क्षणिक आनंद की अनुभूति के लिए व्यक्ति बारम्बार व्यसन करता जाता है इसे नेगेटिव आनंद भी कहा जा सकता है। धीरे धीरे उस उत्पाद की मात्रा को बढ़ाना पड़ता है क्योकि जितनी डोज पहले लेकर वह फिलिंग हो रही होती है धीरे धीरे उस मात्रा में वह उत्पाद लेने से वह फिलिंग नहीं होती जिससे कि व्यसनी को उत्पाद की डोज बढ़ानी पड़ती है और ऐसा करते करते डोज तो बढ़ते ही जाती है उत्पाद के दुष्प्रभाव भी शरीर पर बढ़ते जाते हैं फिर एक वक्त के बाद बारम्बार व्यसन के प्रयोग से हमारा मन उस व्यसन का आदि बन जाता है । फिर हममें उस उत्पाद के लिए तलब उत्पन्न होने लगती है जब तक उस उत्पाद की मात्रा हमारे रक्त में रहती है तब तक हमें उसकी तलब महसूस नहीं होती लेकिन जैसे जैसे उसकी मात्रा हमारे रक्त में कम होती जाती है हमारा मन उसकी तलब उत्पन्न करता है फिर हम उसे प्राप्त करने के लिए हर सम्भव प्रयत्न करने लगते हैं, फिर चाहे वह प्रयत्न नेगेटिव कर्म ही क्यों ना हो हम व्यसन सामग्री को हांसिल करने के लिए क्राइम तक करने लग जाते हैं। चूंकि व्यसन करने से विवेक भी नष्ठ होता जाता है, क्या सहीं क्या गलत इस बात का निर्णय करने की शक्ति एक व्यसनी इंसान खोता जाता है। नतीजतन गलत रास्ते इख्तियार करने में जरा भी नहीं हिचकिचाता जो रास्ते उसके जीवन को और ही बद से बदतर बनाकर नरक समान बना देते हैं। इससे बचने के लिए सबसे पहले हमें चाहिए कि हम कभी भूलकर भी इसे हाँथ ना लगाएं, जो कोई इसके चुंगल में फंस गए हैं उन्हें डॉक्टरी परामर्स लेकर व्यसनमुक्ति के उपाय अपनाएं, व्यसन के प्रति सामाजिक जागरूकता फैलाना भी एक बेहतर उपाय है। कार्यक्रम के अंत में बच्चों नें डॉ.रुपल शाह से विभिन्न तरह के सवाल पूछे जिनका जवाब डॉ.रुपल शाह ने बच्चों को दिया, ऑनलाइन मंच पर बच्चों ने नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम में पधारी डॉ.रुपल शाह का धन्यवाद अदा किया। इस तरह से तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।

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