December 24, 2024

छात्रों को निर्धारित मात्रा में नहीं मिला राशन, अभिभावकों में बढ़ी रोष

कोरबा 22 जून। कोरोना काल के लाक डाउन में बंद पड़े सरकारी स्कूलों के बच्चों को शासन के द्वारा सूखा राशन प्रदाय करने की व्यवस्था दी गई है। चावल के साथ साथ इन्हें दाल, नमक, सोयाबीन बड़ी, अचार, तेल भी निर्धारित मात्रा में दिया जाना है। जिले के भी सरकारी स्कूलों में बच्चों अथवा उनके अभिभावकों को यह सामग्री वितरण कराई जा रही है। हालांकि इस बार के सूखा राशन से सोयाबीन की बड़ी गायब है। पहले शिक्षा विभाग के द्वारा आपूर्ति की बात हो रही थी फिर स्व सहायता समूह खरीदकर वितरण करेगा, इसकी चर्चा रही लेकिन आखिरकार ना तो शिक्षा विभाग और ना ही समूह दोनों ने सोयाबीन बड़ी का वितरण सुनिश्चित नहीं किया। इसके बीच कुछ ऐसे भी स्व सहायता समूह हैं जो सूखा राशन की सामग्री प्रदान करने में कोताही बरत रहे हैं।

मामला जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड अंतर्गत प्राथमिक शाला दर्रीपारा, पसान का है। यहां दोनों पैरों से दिव्यांग सहायक शिक्षक क रंजीत प्रजापति, प्रभारी प्रधान पाठक हैं। उनके द्वारा मार्च-अप्रैल माह में 46 दिन का राशन वितरण किया गया लेकिन बच्चों को सिर्फ और सिर्फ चावल ही बांटा जा सका। अभी मई-जून का सूखा राशन वितरण किया जा रहा है जो कि 40 दिन का है। प्राथमिक शाला के कक्षा पहली से पांचवी तक के कुल 66 विद्यार्थियों को सूखा राशन दिया जाना है लेकिन उन्हें सिर्फ चावल प्रदान करने से अभिभावकों में रोष है। इस विद्यालय में सोनम स्व सहायता समूह अध्यक्ष चम्पा के द्वारा सूखा राशन की सामग्री क्रय कर वितरण करना है। हालांकि समूह के द्वारा स्कूल में आकर सूखा राशन वितरण नहीं किया जा रहा है और दिव्यांग प्रधान पाठक के द्वारा स्कूल आकर बच्चों के अभिभावकों को सामग्री के रूप में सिर्फ चावल दिया जा रहा है। इस बात को लेकर आज अभिभावकों के द्वारा रोष प्रकट किया गया। पंचायत की महिला सरपंच के पुत्र राजकुमार के द्वारा फोन पर प्रभारी प्रधान पाठक को चमकाया गया और शिकायत की बात कही गई। इस मामले में प्रभारी प्रधान पाठक ने बताया कि स्व सहायता समूह के द्वारा ना तो पिछले महीनों में और न ही वर्तमान में दाल, तेल, नमक, आचार, बड़ी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई तो आखिर हुए यह सामान कहां से बांटे? शासन की ओर से प्रदत्त चावल को लाकर 4 किलो प्रति छात्र के मान से उनके अभिभावकों को वे वितरण कर रहे हैं।

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