November 22, 2024

जलवायु परिवर्तन के नुकसान के लिए तेल, कोयला और गैस कंपनियों को मान सकते हैं कानूनन जिम्मेदार

नईदिल्ली 29 जून। नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध की मानें तो दुनिया की प्रमुख तेल, कोयला और गैस कंपनियों को उनके कार्बन उत्सर्जन के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के नुकसान के लिए कानूनी रूप से अब जिम्मेदार ठहराया जाना आसान हो सकता है। और यह आसानी दे सकती है पीयर-रिव्यूड एट्रिब्यूशन साइंस जो बिल्कुल इस तरह के साक्ष्य प्रदान कर सकती है जिसकी मदद से मुक़दमों में कॉज़ और इफेक्ट समझने में न सिर्फ मदद मिल सकती है, बल्कि इससे वकीलों को मामलों के अदालत में पहुंचने से पहले ही सफ़ल मुक़दमेबाज़ी की संभावनाओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है। जलवायु परिवर्तन तेज़ी से कानूनी कार्रवाई का विषय बन रहा है-दुनिया भर में 1,500 जलवायु-संबंधी मुक़दमे हुए हैं, जिसमें पिछले महीने का एक मामला भी शामिल है, जहां पिछले महीने एक डच अदालत ने शेल को अपने उत्सर्जन में कटौती करने का आदेश दिया, और अप्रैल में एक जर्मन संवैधानिक अदालत ने फैसला सुनाया कि देश की जलवायु कानून अपर्याप्त था। जबकि उत्सर्जन में कटौती को मजबूर करने के मुक़दमे सफल होने लगे हैं, कार्बन प्रदूषकों पर उनके उत्सर्जन से होने वाले नुकसान के लिए मुक़दमा करने के प्रयास काफ़ी हद तक विफल रहे हैं-लेकिन हाल के वैज्ञानिक विकास का मतलब है कि इनकी सफलता की संभावना बढ़ रही है।

अब तक अभियोगीयों ने यह प्रदर्शित नहीं किया है कि प्रदूषकों के कार्यों को विशिष्ट जलवायु घटनाओं से जोड़ा जा सकता है। लेकिन एट्रिब्यूशन साइंस (गुणारोपण विज्ञान) वैज्ञानिकों को इसकी गणना करने का अफ़सर देता है कि तूफ़ान, सूखा, हीटवेव या बाढ़ जैसी विशिष्ट घटनाओं में उत्सर्जन ने कैसे योगदान दिया। उदाहरण के लिए, हाल के एक अनुसंधान शोध में पाया गया कि जब 2012 में तूफान सैंडी यूनाइटेड स्टेट्स ईस्ट कोस्ट पर हावी हुआ तो मानव-कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि ने नुकसान में 8.1 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी की। एक और अध्ययन में पाया गया कि 2017 में टेक्सास में आए तूफान हार्वी के कारण हुए नुकसान के 67 बिलियन डॉलर के नुकसान के लिए जलवायु परिवर्तन ज़िम्मेदार था। इस वैज्ञानिक विश्लेषण को उत्सर्जन के डाटा के साथ मिलाकर, अभियोगी अब संभावित रूप से अपने नुकसान के लिए व्यक्तिगत जीवाश्म ईंधन कंपनियों की ज़िम्मेदारी का हिसाब लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, पिछले शोध ने तापमान में वृद्धि और समुद्र के स्तर में वृद्धि के समानुपात की गणना की, जिसके लिए एक्सॉनमोबिल, शेवरॉन, शेल और सऊदी अरामको सहित व्यक्तिगत कंपनियों से उत्सर्जन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, अभियोगीयों ने अब तक नवीनतम एट्रिब्यूशन साइंस का उपयोग नहीं किया है। अध्ययन ने 14 न्यायालयों में कार्बन प्रदूषकों के ख़ीलाफ 73 मामलों की समीक्षा की, जिसमें पाया गया कि “अभियोगीयों ने करणीय संबंध पर अपर्याप्त सासबूत मुहैया किए हैं“ लेकिन “यदि अदालतों को भविष्य के मुक़दमों में करणीय तर्क स्वीकार करना है तो बेहतर वैज्ञानिक सबूत एक स्पष्ट भूमिका निभाएगा।“

कार्बन प्रदूषकों के खि़लाफ विजयी कानूनी कार्रवाई का ख़तरा मौजूदा और प्रस्तावित प्रदूषणकारी बुनियादी ढांचे जैसे कोयला खदानों, तेल और गैस के कुओं, पाइपलाइनों और जीवाश्म ईंधन बिजली संयंत्रों के लिए व्यावसायिक मामले को कमज़ोर कर सकता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के शिकार लोगों के पास मुआवजे का रास्ता भी हो सकता है। ऑक्सफोर्ड सस्टेनेबल लॉ प्रोग्रैम एंड एनवायर्नमेंटल चेंज इंस्टीट्यूट, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के इस नए अध्ययन के अनुसार, जलवायु संबंधी मुकदमों की सफलता के लिए मौजूदा बाधाओं को वैज्ञानिक साक्ष्य के उपयोग से दूर किया जा सकता है। यह अध्ययन 14 न्यायालयों में 73 मुकदमों का आकलन करता है और पाता है कि अभियोगीयों द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूत जलवायु विज्ञान के नाम पर काफ़ी पिछड़े हैं, जिससे अभियोगीयों के दावों, कि ग्रीनहाउस-गैस उत्सर्जन से पैदा हुए प्रभावों से वे पीड़ित हुए हैं, में बाधा आती है। अधिकांश मामलों में यह निर्धारित नहीं किया गया था कि जलवायु परिवर्तन किस हद तक अभियोगीयों को पीड़ित करने वाले प्रभाव पैदा करने वाले जलवायु से संबंधित घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार था, जो सबूत की एक महत्वपूर्ण डोर है क्योंकि सभी घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण नहीं होती हैं। अभियोगीयों की पीड़ा के साथ प्रतिवादीयों के उत्सर्जन को जोड़ने वाले मात्रात्मक साक्ष्य इससे भी कम प्रदान किए गए हैं। 73 फीसद मामलों में पीयर-रिव्यूड (सहकर्मी-समीक्षित) साक्ष्यों का उल्लेख नहीं था। और 26 ने बिना कोई सबूत दिए दावा किया कि मौसम की घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण हुईं।

निष्कर्ष अत्याधुनिक, पीयर-रिव्यूड एट्रिब्यूशन साइंस के महत्व को स्पष्ट करते हैं, जो बिल्कुल इस तरह के साक्ष्य प्रदान कर सकते हैं और इस प्रकार करणीय संबंध साबित करने में मदद कर सकते हैं। इससे वकीलों को मामलों के अदालत में पहुंचने से पहले सफ़ल मुक़दमेबाज़ी की संभावनाओं का पता लगाने में मदद मिलेगी। दुनिया भर में अभियोगी 1,500 से अधिक जलवायु-संबंधी मुकदमे लाए हैं, और दावों किए जाने की दर में वृद्धि हो रही है। किवालिना के नेटिव विलेज बनाम एक्सॉनमोबिल कॉर्प, जिसे यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ अपील्स में ख़ारिज कर दिया गया था, जैसे हाई-प्रोफाइल मामलों ने दिखाया है कि सफल मुक़दमेबाज़ी के लिए करणीय संबंध का मज़बूत सबूत कितना महत्वपूर्ण है। एट्रिब्यूशन साइंस का उपयोग हाल ही में तूफ़ान हार्वी जैसी चरम मौसम की घटनाओं पर मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को साबित करने के लिए किया गया है। कुछ प्रकार की घटनाओं (जैसे सूखा) के आसपास अनिश्चितता दूसरों की तुलना में बहुत अधिक (जैसे बड़े पैमाने पर अत्यधिक वर्षा) होने के साथ, बेहतर सबूत प्रदान करने के साथ-साथ, एट्रिब्यूशन साइंस जलवायु मुक़दमेबाज़ी के मामलों को आगे बढ़ाने के निर्णय को भी सूचित कर सकती है, अदालत के लिए जलवायु मुक़दमेबाज़ी के मामले लाते समय लेखक अधिक जागरूकता और अत्याधुनिक एट्रिब्यूशन साइंस के उपयोग का आह्वान करते हैं। “अदालतों में जलवायु-विज्ञान सबूत का प्रभावी उपयोग मौजूदा करणीय संबंधित बाधाओं को दूर कर सकता है, जलवायु-विज्ञान साक्ष्य द्वारा करणीय संबंधित प्रदर्शन करने के लिए कानूनी मिसाल क़ायम कर सकता है, और जलवायु-परिवर्तन प्रभावों पर सफ़ल मुक़दमेबाज़ी को संभव बना सकता है,“ वे कहते हैं।

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