November 22, 2024

केंद्र की नीतियों के खिलाफ संयुक्त यूनियनों ने खोला मोर्चा

कोरबा 24 जुलाई। चार श्रम संहिता, तीन कृषि कानून बनाने व सार्वजनिक उपक्रम के निजीकरण को लेकर संयुक्त श्रमिक संघ ने प्रतिरोध दिवस मनाते हुए प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर एटक के प्रदेश महासचिव हरिनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र में सात वर्षो से सत्तारुढ़ भाजपा सरकार जनविरोधी कार्यो में लगी है। किसान, मजदूर, व्यापारी व आमजनों के खिलाफ लगातार कार्य किया जा रहा हैं।

बाल्को परसाभाठा चौक में आयोजित प्रतिरोध दिवस पर उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महासचिव सिंह ने कहा कि देश के मजदूरों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित रखने एवं आधुनिक गुलामी की और धकेलने के लिए सभी पुराने श्रम कानूनों को रद्द करते हुए चार श्रम संहिता जैसे काला कानून सितंबर 2020 में संसद के दोनों सदनों से जबरिया पास करा कर देश के श्रमिकों को उद्योगपतियों के भरोसे छोड़ दिया। इसका लगातार विरोध संयुक्त ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की अगुवाई में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अन्नादाता किसान भाई के उपर तीन काले कृषि कानून संसद के दोनों सदनों में बिना चर्चा जबरिया पास करा लिया। इसका दिल्ली समेत पूरे देश भर में सात माह से किसान विरोध कर रहे हैं। अब दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान अपना संसद लगा रहे हैं फिर भी सरकार अपनी कार्यशैली से न तो रुकना चाहती है न पीछे हटना चाहती, जबकि मजदूर और किसानों के संयुक्त मंच की ओर से सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध आंदोलनरत है। इस संयुक्त विरोध प्रदर्शन में सेंट्रल ट्रेड यूनियन इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस के साथी गण उपस्थित थे। इंटक के वरिष्ठ साथी केवीएसवाई राव, सीटू से सोमनाथ बनर्जी, एचएमएस से लखन लाल सहिस समेत सभी यूनियनों से सचिव, महासचिव, अध्यक्ष समेत कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

महासचिव हरिनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार 41 आयुध कारखाने देश के रक्षा के लिए सेना के आवश्यकता अनुसार सभी प्रकार के सामग्रियों का उत्पादन करती है। वर्तमान केंद्र सरकार सभी कारखानों को सात निगमों में बांटकर निजीकरण करने का मार्ग प्रशस्त कर रही है। इसके विरोध में डिफेंस फैक्ट्री के 80 हजार मजदूरों द्वारा लगातार आंदोलन किए जाने से सरकार डर गई है और वहां पर आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत कठोर अध्यादेश जारी करए न केवल हड़ताल को प्रतिबंधित किया गया बल्की हड़ताल करने वालेए कराने वाले और उन्हें सहयोग करने वालों को भी दंडित किए जाने का प्रावधान लागू कर दिया है। मजदूरों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर सरकार की करवाई की निंदा करते हुए निजीकरण बंद करने की मांग की है।

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