छत्तीसगढ़ी गीत म मंदरस कस संगीत घोरइया खुमान साव
5 सितंबर जयंती म सुरता
सुशील भोले
छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत ल मंदरस कस मीठ बना के जन-जन के कंठ म बिराजे के जब कभू भी गोठ होही त स्व. खुमान लाल साव जी के नांव अगुवा के रूप म सुरता करे जाही. मोर उंकर संग पहिली बेर भेंट सन् 1988 म तब होए रिहिसे, जब मैं छत्तीसगढ़ी मासिक पत्रिका ‘मयारु माटी’ के प्रकाशन-संपादन करत रेहेंव. उही बखत एक दिन ‘चंदैनी गोंदा’ के सर्जक दाऊ रामचंद्र देशमुख जी संग भेंट करे खातिर बघेरा गे रेहेंव, त दाऊजी बताइन, अवइया शनिच्चर के भिलाई पावरहाउस तीर ‘चंदैनी गोंदा’ के कार्यक्रम हे, तहूं वोला देखे बर आ जाबे.
मोला आश्चर्य लगिस. काबर ते दाऊजी तब तक तो ‘चंदैनी गोंदा’ के विसर्जन कर के ‘कारी’ के मंचन म सक्रिय होगे रिहिन हें, तब भला चंदैनी गोंदा फेर कहाँ ले आगे? तब वोमन बताइन, चंदैनी गोंदा के संगीतकार रहे खुमान साव अभी घलो एला अपन अनुसार से चलावत हें, उही कार्यक्रम म उहाँ मोर सम्मान राखे हावय, तेकर सेती जाहूं. तब मैं अउ चंद्रशेखर चकोर उहाँ गे रेहेन, तब दाऊजी ह उंकर संग हमर मन के चिन्हारी करवाए रिहिन हें. फेर मोर उंकर संग सबले जादा घनिष्ठ संबंध तब बनिस जब मैं प्रेस लाईन के बुता ल कुछ बेरा तक छोड़ के ‘छत्तीसगढ़ रिकार्डिंग स्टूडियो’ के संचालन करत रेहेंव. सन् 1994 ले लेके 2006 तक. इही ये बेरा ह मोर साधना काल के घलो बेरा आय. तब मोर सुतना बसना सब स्टूडियो म ही होवय.
खुमान साव जी एक- दू पइत तो हमर इहाँ रिकार्डिंग करवाए के बुता खातिर आए रिहिन हें. फेर मोर संग बइठ के साहित्यिक, सांस्कृतिक अउ आध्यात्मिक चर्चा खातिर जादा आवंय. उन कहंय, सुशील तोर जगा आथंव न, त मोला एक अलगेच किसम के सुख के अनुभव होथे. काबर तैं ह साहित्यिक, सांस्कृतिक अउ पत्रकारिता ले जुड़े के संगे-संग आध्यात्मिक मनखे घलो अस. तैं इहाँ के मूल संस्कृति के जेन बात बताथस न, ए ह हम कभू नइ सुने राहन तइसनो होथे. ए सबके एकाद किताब छपवाना, तेमा तोला ए साधना म ज्ञान मिले हे, तेन ह अवइया पीढ़ी खातिर घलो सुरक्षित रहि जावय. आगू चलके अइसने पुरोधा मन के सलाह अउ आशीष ले वो बखत पाए ज्ञान के आधार म ‘आखर अंजोर’ के प्रकाशन होइस.
खुमान साव जी के जनम 5 सितम्बर 1929 (स्कूल दाखिला म 1930 लिखाए हे) के खुर्सीटिकुल, ब्लॉक डोंगरगांव, जिला राजनांदगाँव के दाऊ टीकमनाथ साव जी के संतान के रूप म होए रिहिसे. उनला अपन परिवारेच म संगीत के माहौल मिलिस. उंकर सियान टीकमनाथ जी खुदे हारमोनियम बजावंय. तब लइका खुमान घरे म हारमोनियम बजाए के उदिम करे लागिस. उंकर बड़े दाई के बेटा अउ हमर इहाँ के नाचा के पुरोधा दाऊ मंदराजी घलो उनला हारमोनियम बजाए खातिर प्रोत्साहित करंय. लइका खुमान 13 बछर के उमर म बसंतपुर के नाचा कलाकार मन संग खड़े साज म पहिली बेर हारमोनियम बजाइस. मंदराजी के रवेली नाचा पार्टी म उन 14 बछर के उमर म शामिल होइन.
उन 1950-51 म राजनांदगाँव म आर्केस्ट्रा पार्टी घलो चलाइन. छत्तीसगढ़ के संगे-संग महाराष्ट्र अउ मध्यप्रदेश के कतकों शहर म उंकर सफल कार्यक्रम होइस. वोमन 1952 म ‘सरस्वती कला मंडल’ के गठन करिन. संगीत म कुछ ठोसहा करे के चाह म वोमन भैयालाल हेड़ाऊ, गिरिजा सिन्हा, रामनाथ सोनी आदि संग मिलके सन् 1960 म ‘शिक्षक सांस्कृतिक मंडल’ के गठन करिन. म्युनिसिपल स्कूल राजनांदगाँव म करीब 30 बछर तक उंकर संगीत निर्देशन म उहाँ के लइका मन प्रतियोगिता मन म परचम लहराइन. तब वोमन राजनांदगाँव म राहत रिहिन, तहां ले सोमनी तीर के गाँव ठेकवा म बस गिन.
गोठबात म वोमन बतावंय. 1952 म पिनकापार (बालोद) निवासी दाऊ रामचंद्र देशमुख (बाद म दाऊ जी बघेरा म आगे रिहिन) के बलावा म मड़ई के अवसर म आयोजित नाचा म हारमोनियम बजाए बर गिन. दू बछर पिनकापार के मड़ई म हारमोनियम बजाए के ए असर होइस के रवेली अउ रिंगनी नाचा पार्टी वाले मन एकमई होगे. तब उंकर संगीत निर्देशन म 1971 म आकाशवाणी रायपुर म भैयालाल हेड़ाऊ आदि के स्वर म उंकर गीत के रिकार्डिंग होइस. उही गीत मनला आकाशवाणी ले सुनके दाऊ रामचंद्र देशमुख जी खुमान साव जी ल बघेरा बलाइन. देशमुख जी वो बखत छत्तीसगढ़ के कलाकार मनला खोजे अउ उनला मांजे के कारज करत रिहिन हें. वोमा खुमान साव जी ल हारमोनियम वादक के रूप म शामिल कर लिन. एकर पाछू फेर 7 नवंबर 1971 के दिन छत्तीसगढ़ के धरती म “चंदैनी गोंदा” के प्रथम मंचन के साथ सांस्कृतिक जागरण के जोत जलिस. तहाँ ले पूरा छत्तीसगढ़ म खुमान साव के संगीत के सोर गूंजे लागिस.
खुमान साव जी इहाँ के पारंपरिक गीत-संगीत के संरक्षण खातिर बहुत गुनंय अउ कारज घलो करंय. उन बतावंय (ए बात ल मोला लक्ष्मण मस्तुरिया घलो बतावंय), हमन पूरा छत्तीसगढ़ के गाँव गाँव म टेप रिकॉर्डर धर के किंजरन अउ कलाकार मन जगा जाके वोमन ल गीत गाए बर काहन, तहाँ ले उनला रिकार्डिंग कर लेवन. तहांले उही गीत मनला थोड़ा बहुत सुधार के परिमार्जित कर के आज जेन सुनत हव, तेन रूप म बनावन.
खुमान साव जी आज छत्तीसगढ़ी के नांव जेन किसम के गीत अउ खासकर के पद्य लिखे जावत हे, तेला भावत नइ रिहिन हें. उन काहंय हमर पारंपरिक शैली म लेखन होना चाही. जेमा स्वर अउ तालबद्ध गीत लिखे के परंपरा हे. हमला अपन मौलिक पहचान ल बनाए रखना चाही, न कि लघु गुरु अउ मात्रा मनला गिन-गिन के दूसर मन के पिछलग्गू बनना चाही.
ए संबंध म उन उदाहरण घलो देवंय- ‘जब हमन चंदैनी गोंदा के गीत मनके रिकार्डिंग खातिर मुंबई गेन, त उहाँ हमर करमा के एक गीत ल सुनके उहाँ जुरियाए मुंबई के जम्मो कलाकार माथा धर लिन. काबर के करमा के ए गीत म पांच मात्रा के ताल हावय. ए ह छत्तीसगढ़ी संगीत के मौलिकता आय. दुनिया के अउ कोनो संगीत म अइसन विसम ताल नइए. बाकी सब म दू मात्रा, चार मात्रा के सम ताल ही होथे. उहाँ जुरियाए सब संगीतकार ए ताल ल बजाए के कोशिश करिन फेर कोनो नइ बजा पाइन.
ए बात ल उन मोला हमर स्टूडियो म होय गोठबात म तो बताएच रिहिन. छत्तीसगढ़ शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा सन् 2014 के 12, 13 अउ 14 दिसंबर के रायपुर के पुरखौती मुक्तांगन म आयोजित होए प्रथम “रायपुर साहित्य महोत्सव” म घलो कहे रिहिन. ए कार्यक्रम म मैं तीनों दिन के सबो कार्यक्रम म संघरे रेहेंव. पहला दिन के पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी मंडप के उद्घाटन सत्र के कार्यक्रम के संचालन महीच करे रेहेंव. छत्तीसगढ़ के साहित्यकार मन ऊपर आधारित ए सत्र म मोर संग म छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के संपादक नंदकिशोर तिवारी जी अउ डा. रमेन्द्रनाथ मिश्रा जी रिहिन. हमर मन के बगल म मुकुटधर पाण्डेय मंडप रिहिसे, जिहां दूसरा दिन लोक गीत ऊपर आधारित सत्र रिहिसे, जेमा खुमान साव जी अउ लक्ष्मण मस्तुरिया जी वक्ता के रूप म रिहिन हें अउ एकर संचालन लाल रामकुमार सिंह करे रिहिन हें. ए मंच म घलो आदरणीय खुमान साव जी मुंबई म करमा गीत के पांच ताल वाले बात के बढ़िया फोरिया के विस्तार ले उल्लेख करे रिहिन हें.
अतेक अद्भुत प्रतिभा के धनी खुमान साव जी ल जनता के तो अथाह सम्मान मिलय, फेर उंकर शासकीय सम्मान के गिनती नहीं के बराबर हे. वइसे 2015 म उनला संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार तो मिले रिहिसे, फेर पद्मश्री या राज्यशासन के मंदराजी आदि के सम्मान उनला नइ मिल पाइस. मोर कभू उंकर संग ए विषय म चर्चा होवय त उन कहंय, अरे टार न, सरकारी सम्मान ल. उहाँ कोन आवेदन करही. हमला जनता के जेन सम्मान मिलथे, तेन सबले बढ़के हे. बाद म मैं ए विषय म जानकारी लेंव त पता चलिस, के अइसन सम्मान खातिर संबंधित कलाकार ल स्वयं या फेर कोनो समिति के माध्यम ले आवेदन करे बर लागथे, तभे वोकर नाम ऊपर सम्मान चयन समिति द्वारा विचार करे जाथे. आदरणीय खुमान साव जी कहंय, कोनो स्वाभिमानी आदमी ह आवेदन करही का, मोला सम्मान दे कहिके??
वाजिब म संबंधित विभाग ल अउ वोकर सलाहकार मनला ए विषय ऊपर फिर से विचार करना चाही, तेमा वरिष्ठ कलाकार या साहित्यकार मनला आवेदन के प्रक्रिया ले गुजरे ले झन परय.
लोक संगीत के ए महान पुरोधा, कला गुरु के 90 बछर के अवस्था म 9 जून 2019 के देवलोक गमन होगे.
(संस्मरण संग्रह ‘सुरता के संसार’ ले साभार)
-सुशील भोले
संजय नगर, रायपुर
मो/व्हा. 9826992811