November 23, 2024

पोषण माह का 13 वां एवं 14 वां दिन: ऑनलाइन योग , एनीमिया कैम्प के माध्यम से गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति किया गया जागरूक.. पोषण जागरूकता रथ का शुभारंभ

कोरबा 14 सितंबर 2021. गर्भवती एवं शिशुवती माताओं और बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण सुनिश्चित करने के लिए जिले में सितंबर महीना राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। पोषण माह के 13वें दिन जिले के 900 से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण आधारित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया और जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए जन-जागरूकता का प्रसार किया गया। इन गतिविधियों में लगभग 17 हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया। पोषण माह के तेरहवें दिन बेहतर पोषण एवं स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन योग सत्र का आयोजन किया गया। इस दिन महिलाओं एवं बच्चों के स्वस्थ जीवन के लिये ऑनलाइन योग का प्रशिक्षण दिया गया। आंगनबाड़ी केंद्रों में संचालित ऑनलाइन योगा सत्र में बच्चों एवं महिलाओं को एक साथ योगाभ्यास कराया गया। इस दौरान उम्र के अनुसार उचित खान पान के साथ योग के महत्व को भी बताया गया। प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि योग शारिरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बनाये रखता है। आयुष विभाग द्वारा गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी जांच के लिए भी प्रोत्साहित किया गया।

पोषण माह के 14 वें दिन पोषण जागरूकता रथ का किया गया शुभारंभ

इस कार्यक्रम के अंतर्गत जिला महिला एवं बाल विकास कार्यालय कोरबा से पोषण जागरूकता रथ का शुभारंभ किया गया। इस जागरूकता रथ को जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शिवकला कंवर के द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह पोषण रथ कोरबा जिले के समस्त विकासखंडों के गांवों में प्रचार-प्रसार करेगा। पोषण रथ में पोषण के पांच सूत्र के साथ एनीमिया, कुपोषण, पोषण आहार, स्तनपान, आदि विषयों पर ऑडियो के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जाएगा। इस शुभारंभ कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी, श्री आनंद प्रकाश किस्पोट्टा, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री अरुण पांडे, परियोजना अधिकारी श्री मनोज अग्रवाल, श्री विकास सिंह एवं वर्ल्ड विज़न इंडिया संस्था के कार्यक्रम अधिकारी श्री शमूएल लाल, अनिल देवांगन, सुहास बोरे एवं अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।

पोषण माह के 14वें दिन गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं एवं बच्चों को कुपोषण एवं एनीमिया से मुक्त करने के लिए जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में एनीमिया कैम्प लगाया गया। इस दिन स्वास्थ्य विभाग एवं आयुष के समन्वय से ग्रामवासियों को एनीमिया अर्थात शरीर में खून की कमी, इससे होने वाले लक्षणों के निदान पर परामर्श दिया गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि खून की कमी होने से एनीमिया रोग होता है तथा एनीमिया रोग से मुक्ति के लिये खान पान के तरीकों में बदलाव करते हुए उचित आहार लेना चाहिए। एनीमिया कैम्प के दौरान बताया गया कि महिलाओं को खान पान में हरी सब्जियां, मुनगा, चुकुन्दर, गुड, चना जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। इस दिन बच्चों को कृमि नाशक दवाईयां भी खिलायी गयी।

पोषण माह के 14 वें दिन ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस का आयोजन भी किया गया जिसमे खान पान रहन सहन स्वच्छता सम्बन्धी सम्पूर्ण स्वास्थ्यगत जानकारी दी गई। इस दिन शून्य से पांच वर्ष के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं के हिमोग्लोबिन की जांच कर आयरन टेबलेट भी दी गई। इस दिन आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूलों, ग्राम पंचायतों एवं सामुदायिक स्थानों लोगों को स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूक करने तथा स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन के लिए महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण का विशेष ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
इस वर्ष पोषण माह की चार मुख्य थीम के अनुसार गतिविधियां आयोजित की जा रही है। इसमें प्रथम सप्ताह पोषण वाटिका का विकास, द्वितीय सप्ताह बेहतर पोषण हेतु योग एवं आयुष, तृतीय सप्ताह आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण किट वितरण, चतुर्थ सप्ताह गंभीर कुपोषित बच्चो का चिन्हांकन एवं पोष्टिक आहार वितरण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।

एक सितंबर से शुरू हुए राष्ट्रीय पोषण माह में प्रत्येक दिन विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। जिले के सभी 10 परियोजनाओं बरपाली, चोटिया, हरदीबाजार, करतला, कटघोरा, कोरबा शहरी एवं ग्रामीण, पाली, पसान तथा पोड़ी-उपरोड़ा के आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण आधारित गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि पोषण माह के 13 वें एवं 14 वें दिन जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में जनप्रतिनिधियों, परियोजना अधिकारी, महिला पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी सहायिकाओं की उपस्थिति में ऑनलाइन योग प्रशिक्षण, पोषण जागरूकता तथा एनीमिया कैम्प के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों को स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूक कर कुपोषण मुक्ति का संदेश दिया गया।

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