KORBA छत्तीसगढ़ किचन में निकले 25 सपोले, सुरक्षा में तैनात थी उनकी अम्मा Markanday Mishra July 22, 2020 कोरबा 22 जुलाई। रात का भोजन कर जब एक परिवार बर्तन समेट सोने की तैयारी कर रहा था, तब रसोईघर में सांप के दो बच्चे रेंगते दिखे। डरा-सहमा परिवार घर से बाहर निकल आया और मदद बुलाई। सूचना मिलने पर सर्पमित्र अविनाश यादव मौके पर पहुंचे और कोबरा के दो बच्चों को पकड़ा। जरूरी बात यह थी कि यदि यहां दो बच्चे दिखे हैं, तो बाकी कुनबा कहां है? तलाश करने पर वाश बेसिन के नीचे फर्श पर एक सुराख व उसमें से झांकती दो आंखें दिखाई दी। जब टाइल्स तोड़ा गया तो भीतर 25 संपोले अपनी मां के साथ लिपटे बैठे थे। सभी को एक-एक कर बाहर निकाला गया और वन विभाग के सहयोग से आबादी से दूर जंगल में छोड़ दिया गया। आधी रात 12 बजे की यह घटना शहर की खरमोरा बस्ती की है। टावर लाइन के करीब स्थित बंगले में भाइयों व बच्चों समेत दस-12 सदस्यों के परिवार के साथ व्यवसायी सुरजीत सिंह निवास करते हैं। रात के वक्त कमरे में सांप के बच्चों को रेंगता देख उन्होंने सर्पमित्र अविनाश से संपर्क किया। अविनाश ने बताया कि स्पेक्टिकल कोबरा नामक इस प्रजाति को स्थानीय स्तर पर डोमी कहते हैं, जो काले या गेहुंए रंग का होता है। खरमोरा में दिखे सर्प गेहुंआ डोमी था। वनमंडल कोरबा के डीएफओ गुरुनाथन एन के दिशा-निर्देश पर वन अमले की मदद से पकड़े गए कोबरा परिवार को रिस्दी-रजगामार मार्ग से लगे जंगल में छोड़ दिया गया। यह सर्प भी काफी जहरीला होता है, जिसके काटने पर करैत की तरह ही शरीर में तेजी से जहर फैलता है। समय रहते सर्प की सूचना मिल गई, यदि उन्हें नजरअंदाज कर परिवार सोने चला गया होता, तो सभी बाहर निकलकर पूरे घर में फैल जाते, जो काफी खतरनाक हो सकता था। रैप्टाइल केयर एंड रेस्क्युअर सोसाइटी (आरसीआरएस) नामक संस्था संचालित कर रहे सर्पमित्र अविनाश के साथ उनकी रेस्क्यू टीम में गौरव, निकेश, प्रमोद, हिमांशु, राहुल, अंजलि, प्रगति, रमा, ज्योति व रेखा शामिल रहे।सर्पमित्र अविनाश ने बताया कि न्यूरो टॉक्सिन वेनम के जहर से भरपूर स्पैक्टिकल कोबरा था, जिसे डोमी या नाजा नाजा कहते हैं। नाम के अनुरूप इसका जहर सीधे तंत्रिका तंत्र पर असर करता है और अगर पीड़ित व्यक्ति अधिक डरे व धड़कन तेज हो जाए तो मुश्किल से एक घंटे के भीतर ही उसकी जान जा सकती है। संभवतः यह चूहे का शिकार करने यहां आया होगा या चूहे की गंध पाकर यहीं अपने बच्चों के लिए अनुकूल दशा देखकर अंडे देने रुक गया। कोबरा के साथ उनके अंडों के खोल भी बाहर निकालकर गिने गए।उम्र के अनुसार इस प्रजाति की मादा दस से लेकर 30 अंडे दे सकती है। इस प्रजाति के कोबरा के अंडे अप्रैल से जुलाई के बीच ही फूटते हैं। इस प्रक्रिया में 48 से 69 दिन लग जाते हैं और इस दौरान मादा बिना कुछ खाए भूखी-प्यासी अंडों की देखभाल करती एक ही स्थान पर कुंडली मारे बैठी रहती है। यह प्रजाति चूहों के साथ यह दूसरे कोबरा या सर्प को भी आहार बना लेता है। खरमोरा में मिले कोबरा के अंडे आधा से एक घंटे के भीतर ही फूटे होंगे, तभी वे मां के साथ ही दुबके बैठे थे और एक-एक कर बाहर निकल रहे थे। Spread the word Continue Reading Previous सी एम हाउस के सामने आत्मदाह करने वाले युवक ने तोड़ा दमNext मीसा बन्दी सम्मान निधी: न्यायालय के आदेश की अवमानना का मामला, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव को उपस्थित होकर जवाब देने का आदेश Related Articles Chhattisgarh KORBA NGEL Signs MOU with Govt of Rajasthan for development of 25 GW of RE Projects Admin September 30, 2024 कोरबा छत्तीसगढ़ फेसबुक पर अपनी पीड़ा व्यक्त कर ऑटो चालक ने लगाई फांसी Admin September 28, 2024 कोरबा छत्तीसगढ़ भाजपा सदस्यता अभियान में केन्द्र की नीतियों को बताया Admin September 28, 2024