किसानों को डीबीटी के फायदे और खाद-उर्वरक के सही तरीके से उपयोग की मिली जानकारी
उर्वरक जागरूकता कार्यक्रम एवं कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन के.व्ही.के. कटघोरा में
कोरबा 11 अक्टूबर 2021। कृषि विज्ञान केन्द्र कटघोरा, कोरबा में आजादी का अमृत महोत्सव अंतर्गत उर्वरकों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली का पांच वर्ष पूर्ण होने पर एक दिवसीय ’’उर्वरक जागरूकता कार्यक्रम एवं कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा ’’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मेें मुख्य अतिथि श्री नंद जी पांडे द्वारा जिले के किसानों को आजादी का अमृत महोत्सव के तहत उर्वरकों में प्रत्यक्ष लाभ हस्ताक्षरण (डीबीटी) प्रणाली पर संक्षेप में जानकारी प्रदान की गई। उपसंचालक कृषि श्री ए.के. शुक्ला ने उपस्थित किसानों को कृषि विभाग एवं शासन की विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। श्री शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में जिले में 266 गौठान संचालित है जिसमें लगभग 1000 महिलाएं कार्यरत है, जिनके बैंक खातों में शासन द्वारा अब तक कुल राशि 204 लाख रूपये का भुगतान किया जा चुका है। किसानों को वर्तमान में खेतों की नमी का फायदा लेते हुए 60 से 70 दिन की फसलें जैसेः- तोरिया, रामतिल, आदि की बोआई करने की सलाह भी दी गई। कार्यक्रम में जिले के लगभग 127 किसानों ने भाग लिया है, जिन्हें प्रक्षेत्र में स्थापित विभिन्न ईकाईयों का भ्रमण एवं अवलोकन कराने के साथ-साथ फलदार वृक्षों का वितरण किया गया।
कृषि विज्ञान केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को उर्वरक का संतुलित मात्रा में उपयोग करते हुए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), पीओएस एवं डिजीटल ट्रांजेक्शन द्वारा उर्वरकों की खरीदी के बारे में जानकारी दी। बताया गया कि पहले शासकीय अनुदान कृषकों के खातें में सीधे न जाकर, कम्पनी के पास जाता था, अब डी.बी.टी. द्वारा सीधे कृषकों को उक्त अनुदान का लाभ दिया जा रहा है। वर्तमान में दो लाख पच्चीस हजार पी.ओ.एस. मशीन काम कर रही है। कार्यक्रम में अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व कटघोरा श्री नंद जी पांडे, डॉ. एस.के. उपाध्याय वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र कटघोरा, श्री डी.पी.एस. कंवर, सहायक संचालक (कृषि), श्रीमति आभा पाठक, सहायक संचालक (उद्यानिकी) तथा कृषि विभाग के मैदानी अमलों एवं कृषि विज्ञान केन्द्र,कटघोरा के अधिकारी/कर्मचारी के साथ-साथ जिले भर के किसानों ने भाग लिया।
मृदा वैज्ञानिकों द्वारा कार्यक्रम में किसानों को खाद एवं उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए जागरूक करते हुए इसका उपयोग मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर ही करने की सलाह दी, जिससे कि पौधों को सहीं मात्रा में पोषक तत्व मिलने के साथ ही उसका वातावरण एवं मनुष्यों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर ना पडें। केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा असंतुलित मात्रा में उर्वरकों के उपयोग से फसलों पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव, मृदा स्वास्थ्य सुधार एवं फसल पोषण में मिटटी परीक्षण का महत्व, जैव उर्वरकों द्वारा बीज उपचार, हरी खाद का उपयोग, केंचुआ खाद, नाडेप कम्पोस्ट का उपयोग, मौसम पूर्वानुमान का कृषि कार्याे में महत्व इत्यादि विषयों पर व्याख्यान दिया गया।