पूर्व सक्ति रियासत के 5 वें राजा धर्मेन्द्र सिंह की हुई ताजपोशी
जांजगीर चाम्पा 20 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर चाम्पा जिले की पूर्व सक्ती रियासत के 5वें राजा धर्मेंद्र सिंह की मंगलवार को ताजपोशी कर दी गई। महल में ही पिता राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने तिलक लगाकर उन्हें तलवार भेंट की और राज्याभिषेक किया। फिर वे महामाया मंदिर पहुंचे और आशीर्वाद लिया। इसके बाद शाही बग्घी में सवार होकर शहर भ्रमण के लिए निकले। हालांकि रानी गीता राणा सिंह की आपत्ति के बाद कोर्ट ने एक दिन पहले ही रोक लगाते हुए यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।
राज पुरोहित संजय महाराज ने राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह का भी तिलक किया।
राज्याभिषेक की घोषणा के चलते राजमहल में सुबह से ही लोगों की भीड़ लग गई थी। जिन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था, वे पहुंच चुके थे। महल के अंदर राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने अपने बेटे को गद्दी सौंपी। फिर राज पुरोहित संजय महाराज ने नए राजा धर्मेंद्र की आरती उतारी और वैदिक व पारंपरिक मंत्रोच्चार के साथ राजतिलक किया। राज्याभिषेक के बाद नए राजा धर्मेंद्र सिंह ने रियासत के पहले राजा हरि गुजर के मठ में मत्था टेक कर उनका आशीर्वाद लिया।
पारंपरिक कर्मा व राउतनाचा के साथ उनका स्वागत किया गया। बग्गी के सामने नर्तकों का दल चल रहा था।
महामाया मंदिर में पारंपरिक रीति रिवाज से किया पूजन
राजा धर्मेंद्र शाही बग्गी में सवार होकर शहर की गलियों में निकले। रास्ते भर लोगों का अभिवादन स्वीकारते हुए महामाया मंदिर पहुंचे। वहां मां की पारंपरिक रीति रिवाज से पूजा-अर्चना करने के बाद फिर से बग्गी में सवार होकर नगर में भ्रमण किया। इस दौरान पारंपरिक कर्मा व राउतनाचा के साथ उनका स्वागत किया गया। बग्गी के सामने नर्तकों का दल चल रहा था। नगाड़ा बाजा बजाए जा रहे थे। लोग नए राजा धर्मेंद्र का जयकारा भी लगा रहे थे।
राजपुरोहित संजय महाराज ने नए राजा धर्मेंद्र की आरती उतारी और वैदिक व पारंपरिक मंत्रोच्चार के साथ राजतिलक किया।
रियासत का 156 साल पुरानी धर्मेंद्र राजा बनने वाले दूसरे दत्तक पुत्र
सक्ती रियासत का इतिहास 156 साल पुराना है। 1865 में 14 रियासतों का गठन हुआ था। उस समय सक्ती छोटी रियासत थी। इसके सबसे पहले राजा हरि गुजर हुए। धर्मेंद्र इस रियासत का राजा बनने वाले दूसरे दत्तक पुत्र हैं। उन्हें सुरेंद्र बहादुर सिंह ने गोद लिया था। इनसे पहले राजा रुपनारायण ने अपने छोटे भाई चित्रभान सिंह के बेटे लीलाधर को गोद लिया था। आज से 107 साल पहले सन 1914 में रूपनारायण के दत्तक पुत्र लीलाधर राजा बने थे। 18 वर्ष की उम्र में 1960 में सुरेंद्र बहादुर सिंह राजा बने थे।
महामाया मंदिर पहुंचे और वहां मां की पारंपरिक रीति रिवाज से पूजा-अर्चना की।
कुंवर धर्मेंद्र को सक्ती की रानी पुत्र मानने से कर चुकी हैं इनकार
पूर्व मंत्री और सक्ती राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह की पत्नी गीता राणा सिंह करीब 4-5 माह पहले 30 साल बाद नेपाल से लौटी थीं। उन्होंने बयान जारी कर आरोप लगाया था कि उनके पति (राजा) के नौकर संपत्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं। वहीं सुरेंद्र बहादुर ने भी जांजगीर एसपी को लिखित शिकायत देकर कहा था कि रानी उनकी जानकारी और इजाजत के बगैर महल में रहने लगी हैं। बेटे और कर्मचारियों से दुर्व्यवहार कर रही हैं। वे विक्षिप्त लगती हैं, मैं उन्हें महल में रखना नहीं चाहता।
1914 में लीलाधर सिंह का हुआ था राज्याभिषेक।
वहीं रानी गीता राणा सिंह ने कहा था कि राजा जिसे बेटा बता रहे हैं, वह हमारा बेटा नहीं है। मेरे पति राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह वृद्ध हो गए हैं और महल में ही आराम करते हैं। महल में कई पुराने नौकर हैं, जो उन्हें भ्रमित कर गलत फायदा लेना चाहते हैं। नौकर धनेश्वर सिंह सिदार के पुत्र धीरेन्द्र एवं छोटे भाई धर्मेंद्र व अन्य लोग रहते हैं। धर्मेंद्र हमारा वारिस नहीं है। राजा की पेंशन एवं महल की संपत्तियों से मिलने वाली आय का धर्मेद्र, रोहित दोहरे दुरुपयोग कर रहे हैं और उसमें दूसरे नौकर सहायता कर रहे हैं। वे मेरे पति को मुझसे मिलने नहीं देते।
रानी ने दिया विज्ञापन, न बनें राज्याभिषेक के साक्षी
रानी गीता राणा सिंह ने समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर राज्याभिषेक में लोगों से नहीं शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि मेरे पति राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने महल में काम करने वाले नौकर स्व. धनेश्वर गोड़ के पुत्र धर्मेंद्र सिंह को छल पूर्वक गैरकानूनी तरीके से दत्तक पुत्र के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। जबकि हम धर्मेंद्र सिंह को आज भी अपना पुत्र नहीं मानते हैं। धर्मेंद्र सिंह का परिवार आज भी महल में बतौर नौकर काम कर रहा है। हम दंपती का दत्तक धर्मेंद्र वारिस नहीं है।
पति द्वारा धर्मेंद्र को वारिस घोषित करना और हास्यास्पद राज्याभिषेक कार्यक्रम 19 अक्टूबर को आयोजित है। धर्मेंद्र गोड़ आपराधिक प्रवृत्ति का है। उसके खिलाफ स्थानीय थाने और अन्य थानों में कई मामले दर्ज व लंबित हैं। इसलिए इस लोकतांत्रितक प्रणाली में इस राज्याभिषेक के विवाद पूर्ण कार्यक्रम के साक्षी न बनें।
कोर्ट ने भी लगा दी थी रोक, यथा स्थिति के दिए थे आदेश
राजा धर्मेंद्र सिंह के राज्याभिषेक पर कोर्ट ने एक दिन पहले रोक लगा दी थी। रानी गीता राणा सिंह ने उन्हें बेटा मानने से इनकार करते हुए राज्याभिषेक पर आपत्ति जताई थी। इसे लेकर कोर्ट में याचिका भी दायर की गई। जिस पर प्रथम सत्र अपर न्यायाधीश गीता निवारे ने सुनवाई करते हुए अगले आदेश तक यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।