नुनेरा सहित चार नए धान खरीदी केंद्र खुले, लंबी दूरी से मिली मुक्ति
कोरबा 20 नवंबर। जिले में चार नए धान खरीद केंद्र को सरकार ने स्वीकृति दे दी है। इनमें पाली विकासखंड के नुनेरा, कटघोरा के रंजना, पोड़ी उपरोड़ा के तुमान और कोरबा से नकटीखार शामिल है। नए केंद्रों की स्वीकृति से जिले में उपार्जन केंद्रों की संख्या अब 49 से बढ़कर 53 हो गई है। अतिरिक्त उपार्जन केंद्रों के खुलने से किसानों को 30 से 35 किमी लंबी दूरी चलकर धान बेचने की समस्या से निजात मिलेगी।
धान खरीदी शुरू होने से दस दिन पहले सरकार ने किसानों को अच्छी सौगात दी है। नए धान उपार्जन केंद्र के रूप जिले में चार गांवों शामिल किया गया है। इन उपार्जन केंद्रों के शुरू होने से 27 ग्राम पंचायतों के 52 गांवों के 2567 किसानों लंबी दूरी जाने की समस्या से मुक्ति मिलेगी। जिन गांवों को नया उपार्जन केंद्र बनाया गया है उनमें नूनेरा के ग्रामीण धान बचने के लिए पाली जाते थे। इसी तरह तुमान के किसानों को जटगा जाकर धान बेचना पड़ता था। नकटीखार वालों को शहर लांघकर सोनपुरी और रंजना के किसानों को जवाली आना पड़ता था। धान बेचने के लिए किसानों को औससन 35 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता था। ट्रैक्टर में लोड कर धान बेचने में बोनस की राशि परिवहन की भेंट चढ़ जाता था। दो साल पहले भी राज्य सरकार ने आठ नए उपार्जन केद्रों को स्वीकृति दी थी। जिससे उपार्जन केंद्रों की संख्या 41 से बढ़कर 49 की गई थी। बहरहाल जिन नए केंद्रों को स्वीकृति मिली है वे पुराने समितियों से ही संचालित होंगे। वर्तमान में जिले के सभी धान उपार्जन केंद्र 41 समितियों के साथ संचालित हो रही हैं। धान खरीदी के लिए तैयारी जिले में जोरो पर है। किसानों का पंजीयन कार्य पूर्ण हो चुका हैं। ऐसे में पंजीकृत किसानों का उपार्जन केंद्रवार विभाजन किया जाएगा ताकि वे निकटवर्ती केंद्र जाकर धान बेच सके।
राज्य सरकार ने धान खरीदी केंद्रों की संख्या तो बढ़ा दी है लेकिन पर्याप्त कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं किए जाने कारण अभी भी किसानों को समस्या से जूझना पड़ रहा है। धान खरीदी का कार्य तो नए उपार्जन केंद्रों में जैसे- तैसे पूरी हो जाती है लेकिन ग्रीष्म के समय रबी फसल की सुविधा के लिए किसानों को समस्या होती है। अस्थायी रूप से नियुक्त कि गए कर्मचारी वापस अपने पुराने केंद्र चले जाते है। केंद्र बंद होने से खाद, बीज खरीदी करने वाले किसानों को भटकना पड़ता है। दो साल पहले मोरगा को धान उपार्जन केंद्र बनाया गया था। यहां पोड़ी उपरोड़ा के कर्मचारियों को दायित्व भार दिया गया है, लेकिन कर्मचारियों के नहीं आने से किसानों को समस्या होती है।
स्वीकृत किए गए उपार्जन केंद्रों में ग्राम नकटीखार ऐसा गांव है जहां पहले से धान खरीदी के लिए चबूतरा और गोदाम बनकर तैयार है। पिछले पांच साल से नकटीखार को धान खरीद केंद्र की मांग की जा रही थी। स्वीकृति मिलने की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन ने बीआरजीएफ मद से गोदाम और चबूतरे के निर्माण को स्वीकृति करा ली थी। उपार्जन केंद्र शुरू होने से पांच साल पहले बने गोदाम और चबूतरे का उपयोग होगा। बहरहाल दो साल पहले नकटीखार को धान उपार्जन केंद्र का दर्जा मिलना था, लेकिन राजनैतिक खींचतान के चलते शहर दादरखुर्द को उपार्जन केंद्र बना दिया गया।