जमीनी व कागजी दोनों तरीके से लड़ाई लड़नी होगीः माकपा
कोरबा 26 दिसंबर। मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी माकपा के पोलिट ब्यूरो सदस्य तपन सेन ने भू-विस्थापितों के प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि उनके संघर्ष में माकपा का पूरा सहयोग रहेगा। जमीनी व कागजी दोनों तरीके से लड़ाई लड़नी होगी। विस्थापन के खिलाफ और रोजगार के लिए संघर्ष इस देश में चल रहे व्यापक राजनैतिक संघर्ष का एक हिस्सा है और सरकार की कार्पोरेटपरस्त नीतियों को बदलकर ही जीता जा सकता है।
एसईसीएल के बल्गी क्षेत्र में प्रवास के दौरान भू-विस्थापित प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात कर समस्याओं से अवगत कराया। रोजगार के लिए दो माह से चल रहे धरने व दो बार की गई खदान बंदी आंदोलन की सराहना करते हुए तपन ने कहा कि भू-विस्थापितों को रोजगार और पुनर्वास की मांग स्थानीय नहीं, देशव्यापी मांग है और स्थानीय संसाधनों की लूट और असमानता के खिलाफ चल रहे संघर्ष का हिस्सा है। उन्होंने भू-विस्थापितों की समस्याओं से संबंधित दस्तावेज के साथ कोल इंडिया के अधिकारियों के साथ इस मामले में हस्तक्षेप करने का भी आश्वासन दिया है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि एसईसीएल कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने रोजगार एकता संघ के बैनर तले 10 से ज्यादा गांवों के भू-विस्थापित किसान लगातार रोजगार के लिए आंदोलन कर रहे हैं। जमीन 1978-2004 के बीच अधिग्रहित की गई थी, लेकिन तब की पुनर्वास नीति के तहत उन्हें रोजगार नहीं दिया गया। खदान बंदी के बाद स्थानीय अधिकारियों ने एक माह में रोजगार देने का लिखित वादा किया, पर एसईसीएल प्रबंधन इसे पूरा करने में असफल रहा। इस दौरान दीपक साहू, जवाहर सिंह कंवर, जय कौशिक, राधेश्याम, दामोदर श्याम, रेशम लाल, बजरंग सोनी, मोहन कौशिक, रामप्रसाद, अशोक मिश्रा, दीपक, रघु, पुनीत, सनत कश्यप, बलराम कश्यप, दीनानाथ, अनिल बिंझवार, गणेश बिंझवार समे अन्य भू-विस्थापित शामिल रहे।