बेहरचुंवा की वन भूमि पर अतिक्रमण, वन विभाग करेगा कार्रवाई
कोरबा 15 जनवरी। वनमंडल कोरबा अंतर्गत आने वाले करतला वन परिक्षेत्र के बेहरचुंवा ग्राम में जंगल जमीन अतिक्रमणकारियों के चंगुल में है। वन विभाग के अधिकारियों को बार-बार अवगत कराने पर भी न तो कार्यवाही हो रही है और न ही जिनके भरोसे जंगल की सुरक्षा और देख-रेख है उनके द्वारा भी अपने कर्तव्य का सही निर्वहन नहीं किया जा रहा। फलस्वरूप अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं।
ग्राम बेहरचुवां के ग्रामवासियों ने कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत के नाम पत्र प्रेषित करते हुए बेहरचुवां के वन रक्षक एलजी पटेल को बेहरचुवां बीट से हटाने की मांग की है। ग्रामवासियों का कहना है कि वन रक्षक पटेल बेहरचुवां मुख्यालय में नहीं रहता है और कभी-कभी एकाध दिन आता है। गांव के हित में कोई भी काम नहीं किया जाता है। अपने फायदे को लेकर काम करता है। बेहरचुंवा की वन भूमि को बिंझकोट द्वारा करीबन 20 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया है जिसमें बांस का पौधा लगा हुआ था और ग्राम पंचायत खुटाकुड़ा में जंगल सफाई किया जा रहा है। इनके खिलाफ कार्यवाही के लिए ग्रामवासियों द्वारा वन रक्षक एलजी पटेल को कई बार शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। ग्रामीणों मनहरण लाल, जयनंद कुमार, मालिक राम, जालिंधर सिंह, प्रकाश, चुन्नी लाल सिदार, जितेंद्र श्रीवास्तव, मोहित राम सिदार, प्रहलाद, पंच ननकीराम राठिया, भुवन सिंह, होल सिंह यादव, अनिल मनबहाल, राधेश्याम, ईश्वर प्रसाद आदि ने सांसद से वन रक्षक एलजी पटेल को हटाकर इनकी जगह कोई अन्य वन रक्षक नियुक्त करने की मांग की है।
इस संबंध में वनमंडल अधिकारी कोरबा प्रियंका पांडेय एवं उप वन मंडलाधिकारी आशीष खेलवार से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि मामले की शिकायत मिलते ही जांच का आदेश दे दिया गया है। क्षेत्रीय रेंजर को किन-किन लोगों द्वारा कितनी जमीन अतिक्रमण किया गया है, जांच कर प्रतिवेदन देने को कहा गया है। मामले की जांच जारी है। ऐसी जानकारी मिली है कि मसाहती गांव की आड़ में क्षेत्र के पटवारी आरआई व फारेस्ट गार्ड मिलकर गड़बड़ी कर रहे हैं। अतिक्रमणकारियों को नजरी नक्सा काटकर पट्टा दे दिया जा रहा है जो गलत है। चूंकि संबंधित जमीन वन विभाग के नारंगी क्षेत्र की जमीन है अतः इसे राजस्व विभाग मनमानी कर पट्टा नहीं दे सकता। नारंगी क्षेत्र की जमीन को अतिक्रमणकारियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए वन विभाग हर संभव कार्रवाई करेगा। जरूरत पड़ने पर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी।