November 7, 2024

जिला प्रशासन से पूछ रही जनता- पब्लिक लॉक क्यों? लीडर अनलॉक क्यों?

कोरबा 31 जुलाई। शहर इन दिनों सख्त पाबन्दी के साये में है। सुबह 6 से 10 बजे तक डेयरी, किराना,फल, सब्जी की दुकानें खुल रही हैं। गैस, पेट्रोल, डीजल मेडिकल रात तकक खुलते हैं। शेष सब कुछ बन्द है। लोगों का घर से निकलना बंद। बहुत जरूरी हो तो केवल एक व्यक्ति घर से बाहर निकलेगा। यानि आम जनता कम्प्लीट लॉक। मगर शहर- जिला के नेता कम्प्लीट अनलॉक।
आप पूछेंगे क्या कोरोना संकट काल में ऐसा भी हो सकता है? आप आश्चर्य मत कीजिये, इसका जवाब हां है। कोरबा विधायक घूम घूम कर भूमिपूजन और उद्घाटन कर रहे। कटघोरा विधायक सायकल, कॉपी-पुटक बंट रहे। पाली तानाखार विधायक और ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष गांव गांव घूमकर बैठक ले रहे। गली मुहल्ले के नेता दफ्तर दफ्तर घूम कर टेण्डर और सप्लाई आर्डर ले रहे। डी एम एफ़ में भी घरों से स्टीमेट बनकर दफ्तर पहुंच रहे और चेक बन रहे। सड़कें सुनी पड़ी हैं, रेत तस्करों की हाइवा और ट्रेक्टर सड़कों का सीना रौंदते दनदना रही हैं। पब्लिक सड़क से बाहर और आपराधिक गतिविधियां खुलेआम सड़क पर। ठीक भी तो है। जनता घर में बंद रहेगी, तभी तो अपराधी शहर पर राज कर सकेंगे। सारे दो नम्बरी काम सहजता से किये जा सकेंगे। पब्लिक देख नहीं पाएगी और जिन्हें देखना है, उन्होंने ही तो लायसेंस जारी किया है। चलो सब तरफ अमन चैन है।
इधर राखी और ईद है। व्यापारी लॉक डाउन के समय में बदलाव का गुहार लगा रहे हैं। मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। उल्टे बेतुके सुझाव देकर टाले जा रहे हैं। कोरबा के लोग कहने लगे हैं ये तो 1975 लौट आया है। सन 1975 यानी इमरजेंसी।शहर में आतंक और आक्रोश बढ़ रहा है। शहर के सारे वाचाल मूक हैं। नेता अपनी नेतागिरी चमका रहे है। अफसरों की झोली छोटी पड़ रही है। लोग कनबति कर रहे हैं- जनता लॉक क्यों? नेता अनलॉक क्यों? क्या जिला प्रशासन का बस केवल सामान्य लोगों पर ही चलता है? क्या नेताओं पर कोविड 19 प्रोटोकॉल लागू करने से वह डरता है? लोग अपने भाजपा कांग्रेस के नेताओं से भी जानना चाहते हैं कि क्या वे सरकारी खजाने से मौज मस्ती करने के लिए नेतागिरी कर रहे हैं? अपनी तिजोरी भरने के लिए नेता बने हैं या जनता के हिट अहित, सुख दुख से भी उनका कोई वास्ता है?
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