July 4, 2024

दुर्गा पंडालों में गरबा की तैयारी जोरों पर, चौकड़ी-छकड़ी की ताल पर थिरकेंगे श्रद्धालु

कोरबा 23 सितम्बर। कहीं चौकड़ी के साथ पैर की थिरकन व ताली की ताल, तो कहीं उलटा घुमकर छकड़ी ताल में पांव व हाथों का तालमेल के साथ युवतियां व महिलाएं इन दिन प्रशिक्षण ले रहीं हैं। समूह में अप डाउन स्टेप के साथ डांडिया में डंडे या ताली की आवाज प्रशिक्षण सेंटरों में सुनाई देने लगी है। नवरात्र पर्व की तैयारी का यह नजारा इन दिनों शहर के विभिन्ना कालोनियों में दिख रहा है। सोमवार 26 सितंबर को घट स्थापना के साथ शुरू हो रही नवरात्र की तैयारी अंतिम चरण की ओर है। वहीं पंडालों में सांस्कृतिक रंग भरने के लिए पंडालों में गरबा व डांडिया की तैयारी उत्कर्ष पर है।

दुर्गा उत्सव में पूजा के साथ सांस्कृति उत्साह के तौर पर गरबा व डांडिया का विशेष महत्व होता है। आयोजन को लेकर युवक. युवतियों व महिलाओं का उल्लास देखा जा रहा है। सामूहिक तौर पर किए जाने वाले इस नृत्य में लोगों का जुड़ाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा। कोरोना काल के दौरान आयोजन स्थिगित करना पड़ा था। दो साल के लंबे अंतराल में ताल और लय को फिर से तरोताजा करने के लिए अभ्यास का सहारा लिया जा रहा है। इस बीच नई पीढ़ी के युवा भी आयोजन में भाग लेने के लिए तैयार हो चुके हैं। शहर में इन दिनों विभिन्न कालोनियों में सामूहिक नृत्य का पूर्वाभ्यास चल रहा है। रविवशंकर शुक्ल नगर, शारदा बिहार, मुड़ापार, निहारिका, सीएसईबी कालोनी आदि स्थानों पर प्रशिक्षक प्रशिक्षण दे रहे हैं। नये स्टेप के साथ अपनी जोडिय़ों में डांडिया का पूर्वाभ्यास किया जा रहा। रविशंकर शुक्ल नगर में कपिलेश्वर नाथ महिला मंडल से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि सामूहिक रूप से गरबा के स्टेप में पैरों की थिरकन व हाथ का उतार चढ़ाव के साथ हाव भाव का विशेष महत्व होता है। एक स्टेप पर पांच से दस मिनट डांस करने के पश्चपात स्टेप बदलना चाहिए। पूर्वाभ्यास में समय का ध्यान रखना आवश्यक है। इसके लिए प्रतिदिन पंडाल परिसर में घंटे डेढ़ घंटे डांस करने में दिक्कत नहीं होगी।

नृत्य के हाव भाव के साथ ड्रेस कोड की तैयारी का विशेष महत्व होता है। पंचमी से उत्सव उत्कर्ष में आने लगता है। इस आशय से प्रशिक्षकों का कहना है कि तीन अलग-अलग ड्रेस कोड पर्याप्त है। सामूहिक रूप से ड्रेस कोड को प्रतिदिन परिवर्तन करते रहने से ग्रुप डांस में आकर्षण बना रहता है। चटखदार रंगों में गुजराती घुमर, लहंगा के अलावा पसंदीदा पहनावा सलवार सूट नृत्य के लिए बेहतर है।

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