संयुक्त पर्ची में चाचा ने बेच दिया सैकड़ों क्विंटल धान
कोरबा। किसान अपने सगे चाचा की धोखाधड़ी एवं जिम्मेदार अधिकारियों की उपेक्षा, धमकी से आहत होकर गुरुवार को कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाने कलेक्टोरेट पहुंचा ।
बरपाली तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सलिहाभांठा से पहुंचे पीड़ित किसान नरेश पोर्ते ने बताया कि उनके रामायण सिंह पोर्ते पिता स्व. चमरुराम पोर्ते, महासिंह पोर्ते पिता स्व. चमरुराम पोर्ते, स्व. छतराम पोर्ते पिता स्व. उदेराम पोर्ते एवं स्व. रामप्रसाद पोर्ते पिता स्व. उदेराम पोर्ते के नाम से संयुक्त कृषक खाता है। इसमें सभी हिस्सेदार कृषि कार्य कर रहे हैं। इनमें छतराम पोर्ते एवं रामप्रसाद पोर्ते का निधन हो चुका है, लेकिन आज पर्यंत फौती नामांतरण कर उनके वारिसानों का नाम कृषक खाते में दर्ज नहीं किया गया। नरेश ने बताया कि उनके चाचा रामायण सिंह पोर्ते जो कि वर्तमान में लंबरदार है ने समस्त 9 एकड़ 54 डिसमिल भूखंडों को अपने कब्जे में लेकर अपने निजी हित में उपयोग कर रहे हैं। पिछले 14-15 साल से शासन को धोखे में रखकर कुल पंजीकृत भूखंड में प्रतिवर्ष करीब 70 फीसदी कोचिये का धान सम्मिलित कर शासन को समर्थन मूल्य पर बिक्री कर रहे हैं, जबकि उनके हिस्से में प्रतिवर्ष करीब 30 क्विंटल धान ही उपार्जित होता है। कुल बिक्री योग्य धान 140 क्विंटल में से 70 फीसदी तकरीबन 100 क्विंटल धान कोचिए का शामिल कर राजीव गांधी किसान न्याय योजना, किसान सम्मान निधि योजना एवं पीएम किसान योजना का अकेले लाभ ले रहे हैं, जबकि इसके वे भी हकदार थे। किसान नरेश ने बताया कि फौती नामांतरण कर उनके वारिसानों का नाम कृषक खाते में दर्ज नहीं करने से न तो वे अपने हिस्से में उपार्जित धान की बिक्री कर पा रहे हैं न ही खाद बीज ले पा रहे हैं। खाता विभाजन के लिए किसी प्रकार से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।