November 7, 2024

बैंक न एटीएम, लगा रहे पोड़ी-उपरोड़ा की दौड़

0 पसान क्षेत्र के किसान हो रहे परेशान
कोरबा। पसान क्षेत्र के किसान हलकान हैं। गांव में बैंक शाखा और एटीएम नहीं होने के कारण उन्हें पोड़ी-उपरोड़ा की दौड़ लगानी पड़ रही है। इससे किसानों को आर्थिक और मानसिक परेशानी हो रही है। कई बार इसकी शिकायत भी की जा चुकी है।
बैंक में एटीएम खोलने का प्रावधान नहीं होने का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। प्रतिवर्ष किसानों की बढ़ती संख्या और करोड़ों रुपये का भुगतान केवल बैंकों से ही होने के कारण बैंक प्रबंधन पर दबाव भी बढ़ते जा रहा है, किंतु उसके बावजूद एटीएम खोलने के संबंध में किसी तरह की पहल नहीं हो रही है। किसानों की ओर से संबंध में बैंक प्रबंधन को पत्र भी प्रेषित किया गया था। साथ ही साथ विक्रेता संघ ने एटीएम के संबंध में बैंक प्रबंधन से पहल करने की मांग की थी। अब तक पसान क्षेत्र में नई शाखा खोलने और एटीएम की सुविधा किसानों को देने के संबंध में पहल नहीं हुई है। जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर जिले के अंतिम छोर में बसे पसान क्षेत्र जिला सहकारी बैंक का मोहताज बना हुआ है। धान खरीदी का भुगतान इसी बैंक के माध्यम से किसानों को होता है। भुगतान के लिए किसानों को पोड़ी-उपरोड़ा तक सफर तय करना पड़ता है। बैंक की शाखा खोलने के संबंध में कई बार क्षेत्र के लोगों ने मांग की, किंतु इसके विपरीत बैंक की नई शाखा खोलने के लिए करतला का प्रस्तव भेजा गया है। जिला सहकारी बैंक की नई शाखा खोलना अब आवश्यक हो गया है। वर्तमान में बैंक की केवल 8 शाखा ही संचालित हैं, जिनमें दो डिपॉजिट शाखा है। इस तरह 6 शाखों से ही भुगतान होता है। बरपाली शाखा सबसे बड़ी है। सर्वाधिक भुगतान बरपाली शाखा से ही होता है। इसे देखते हुए धान खरीदी का शुभारंभ करने आए जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर ने करतला में बैंक की नई शाखा खोलने की घोषण कर दी है। वहीं दूरस्थ क्षेत्र एक बार फिर बैंक की नई शाखा प्रारंभ होने से वंचित हो गया है। वर्तमान में पसान क्षेत्र में भी धान बेचने वाले किसानों की संख्या वन अधिकार पत्र प्राप्त करने वाले किसानों के कारण बढ़ गई है। इस दृष्टि से भुगतान के लिए अब बैंक प्रबंधन पर दबाव बढ़ने लगा है। पसान क्षेत्र में निजी बैंक की शाखा है, जहां भुगतान के लिए कुछ किसानों ने अपना खाता खुलवाया है। बांकी शेष किसान पोड़ी-उपरोड़ा जिला सहकारी बैंक आते हैं, जो उन्हें आर्थिक रुप से भारी पड़ने के साथ साथ भुगतान के लिए लंबी लाइन भी लगानी पड़ती है।

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