कोरबा में लागू नहीं था नियम, सरकार बनते ही मुख्यमंत्री ने लागू कराया और अब विशेष पिछड़ी जन जाति के 29 युवाओं को मिली सरकारी नौकरी
रायपुर। छतीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजातियां दूरस्थ वनांचलों में रहती है। इन जनजातियों के लोग वनोपज इक_ा कर, खेती किसानी कर अपना जीवनयापन करते हैं। राज्य के ही आदिवासी अंचल सरगुजा और बस्तर संभाग में सरकारी नौकरियों में तीसरे वर्ग के पदों पर भर्ती में स्थानीय जनजातीय युवाओं को नियुक्त करने का नियम था। परंतु कोरबा ज़िले के जनजातीय बाहुल्य और विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा, बिरहोर का निवास स्थल होने के बाद भी यह नियम कोरबा जिले में लागू नहीं था। इस नियम के लागू नहीं होने से यहां के जनजातीय युवाओं को शिक्षित और योग्य होने के बाद भी सरकारी नौकरियों में आने का मौका नहीं मिल पा रहा था।
राज्य में भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री का पद सम्भालते ही इस विसंगति को दूर कर स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियों में भर्ती का रास्ता साफ कर दिया। मुख्यमंत्री ने जिला स्तर पर तृतीय श्रेणी के पदों पर भर्ती के लिए स्थानीय जनजातीय युवाओं को लेने के नियम को कोरबा जिले में लागू किया। इसका फायदा लेकर अब तक करीब 29 पहाड़ी कोरवा और बिरहोर विशेष पिछड़ी जनजाति के युवक-युवतियों को सरकारी नौकरी मिल गई है। पांचवी और आठवीं कक्षा पास यह युवा आदिवासी विकास विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग में भृत्य के पदों पर काम कर रहे हैं।