आंबा कार्यकर्ता-सहायिकाओं ने मानदेय सहित अन्य मांगों को लेकर खोला मोर्चा
कोरबा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ के आव्हान पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर दर पर मानदेय और नर्सरी शिक्षक के तौर पर उन्नयन की मांग को पूरा कराने के लिए एक बार फिर आंदोलन शुरू किया है। 23 जनवरी से प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लगाकर कार्यकर्ता और सहायिका रायपुर में महापड़ाव करेंगे। इसे लेकर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता-सहायिकाओं का जत्था रायपुर रवाना हो चुका है।
मुख्य प्रांतीय पदाधिकारियों ने बताया कि देश भर के लगभग 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार से न्यूनतम पारश्रमिक नहीं दिये जाने और छत्तीसगढ़ सरकार के चुनावी वादा खिलाफी से आक्रोशित हैं। काम की बात आती है तो दोनो सरकारें एक हो जाती हैं और दबाव से काम लेती हैं लेकिन उचित दाम देने की बात आती है तो दोनों सरकारें एक-दूसरे के ऊपर मढ़ते हैं। न्यूनतम मानदेय स्वीकृत करने, समय पर वेतन देने, पेंशन, पदोन्नति देने की सुविधा के लिये सरकार गंभीर नहीं है। दोनों ही सरकारें महिलाओं का शोषण कर रही हैं, जिससे इन कर्मियों में आक्रोश व्याप्त है। कार्यकर्ता को 4500 रुपये केन्द्र और 2000 रुपये राज्यांश से कुल 6500 रुपये और सहायिका को 2250 रुपये केन्द्र से 1000 रुपये राज्यांश कुल 3250 रुपये का मानदेय मिल रहा है। उसमें भी राज्यांश की राशि 4-5 माह में एक बार रोक-रोक कर दिया जा रहा है। इसी तरह अन्य स्वत्व ईंधन राशि, मातृत्व वंदना, यात्रा भत्ता इत्यादि समय पर नहीं दिया जाना अत्यन्त गंभीर बात है। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि महिला बाल विकास के नीचे से ऊपर तक के अधिकारी समस्याओं का समाधान करने की बजाय कार्यकर्ता-सहायिकाओं को छोटी-छोटी बातों में सेवा से निकाले जाने की धमकी, संसाधन नहीं होने के बाद भी कार्य करने का दबाव देना, मोबाइल नेट चार्ज नहीं है उसके बाद भी दबाव देकर बंधुआ मजदूर की तरह कार्य लिया जाना, भयादोहन कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं को आर्थिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उक्त सभी बातों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका काफी आक्रोशित हैं और सरकार को इस बात से कई बार अवगत कराया जा चुका है। सरकार को वार्ता के माध्यम मांगों का निराकरण के लिए 22 जनवरी तक का समय दिया गया है। इसके बाद भी मांग पूरा नहीं होने पर 23 जनवरी से 5 दिन तक रायपुर राजधानी मुख्यालय में सभी जिलों से कार्यकर्ता-सहायिका बड़ी संख्या में उपस्थित हो रही हैं। उसके बाद इसे अनिश्चितकालिन हड़ताल में तब्दील करते हुये सभी जिला मुख्यालय धरना देंगे।