बेजा कब्जाधारियों ने शमशान घाट को भी नहीं बख्शा
कोरबा। बेजा कब्जा के लिए शहर की श्मशान की जमीन को भी नहीं बख्शा जा रहा। शहर के रेलवे स्टेशन से लगी इमली डुग्गू के शमशान घाट स्थल में 200 से भी अधिक आवास बन चुके हैं। बढ़ती स्लम बस्ती का आलम यह है कि इससे लगे बसाहट डंपिंग यार्ड की ओर बेजा कब्जा बढ़ता जा रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई नहीं किए जाने से लोग असुरक्षित जगह में मकान बनाकर रहने से नहीं हिचक रहे।
बेतरतीब बसाहट बेजा कब्जा किस तरह से बढ़ रही यह शहर के अंतिम छोर से लगे क्षेत्र में देखी जा सकता है। सीतामढ़ी के निकट हसदेव नदी के तट, बालको मार्ग के ढेंगुरनाला, झगरहा में अवैध रूप से आवास निर्माण का कारोबार तेजी से फल फूल रहा हैं। इनसे हटकर विकट स्थिति शहर के इमली डुग्गू श्मशान घाट की है। यहां 50 प्रतिशत जमीन पर ग्रामीण क्षेत्र से आए मजदूरों ने कब्जा कर लिया है। वहीं भू-माफियाओं ने श्रमिकों को किराए पर देने के लिए अवैध रूप से आवास का निर्माण करा लिया है।यहां बताना होगा कि शहर के बड़े कबाडिय़ों के लिए यहां के मजदूर कमाई का जरिया है। यहां निवासरत मजदूर दिन भर सडक़ और विभिन्न जगहों से कबाड़ संग्रहण करते हैं। शाम के समय सीतामढ़ी के आसपास के कबाडिय़ों के पास समान बेचकर रात के समय शमशान घाट में बनाए गए घरों में रहते हैं। इमलीडुग्गू के सबसे अंतिम बसाहट में नाला होने कारण बिजली के खंभे भी नहीं लगे है। काफी दूर से अवैध रूप से हूकिंग कर तार खींचा गया है। बढ़ते बेजा कब्जा को देखते हुए लोगों को अंतिम संस्कार लिए समस्या आने लगी थी। ऐसे में निगम ने दो एकड़ जगह को घेर कर उसमें अंतिम संस्कार के लिए शेड बनाया है। घेरे गए जगह में भी लोगों ने शव दफन के बाद स्मारक बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में आने वाले समय में यहां अंतिम संस्कार की भी समस्या होगी।अवैध बसाहट के इस क्षेत्र में निवासरत अधिकांश मजदूर व उनके बच्चे अशिक्षित हैं। छोटे बच्चे कबाड़ संग्रहण करने का काम करते हैं। किशोर और उससे अधिक आयु के नाबालिग होटल, गुमटी या अन्य जगहों में काम करते हैं। अशिक्षा के कारण यहां अधिकांश बच्चे नशे के आदी होने से गांजा, बोनफिक्स जैसे नशे में लिप्त हो जाते हैं। शाम होते ही यह क्षेत्र संवेदनशील हो जाता है।
काम नहीं आई अटल आवास योजना
कम लागत में लोगों को आवास देने के लिए हाउसिंग बोर्ड ने अटल आवास की योजना के तहत शहर के विभिन्न स्थानों में कालोनी का निर्माण किया है। भवनों का किश्त नहीं पटने के कारण बोर्ड सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रही है। जिन आवासों की बिक्री नहीं हुई है उनमें से कई में अवैध बेजा कब्जा हो चुका है। वहीं दरवाजे खिड़कियों की चोरी कर ली गई है।