December 24, 2024

पत्रकारिता के नाम पर छत्तीसगढ़ में आज भी चांदी काट रहे बाहरी लोग

रायपुर, 20 अगस्त। छत्तीसगढ़ राज्य बने 20 साल हो गए है पर आज भी यहां पत्रकारिता के नाम पर बाहरी लोग चांदी काट रहे है। इसके उलट स्थानीय पत्रकारों का हॉल जस का तस है। कभी पूरे देश में अपनी उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले छत्तीसगढ़ के स्थानीय पत्रकारों को अलग राज्य बनने के बाद जो महत्व मिलना था वह आज तक नही मिल सका है। डेढ़ साल पहले राज्य में सत्ता भले ही बदल गई हो, छत्तीसगढ़ में आज भी बाहर के कुछ तथाकथित ब्लैकमेलर पत्रकारों का ही दबदबा है। ये लोग पत्रकारिता की आड़ में न केवल यहां के अधिकारियों, नेताओं और ठेकेदारों को डरा धमका कर पैसों की जमकर वसूली कर रहे है बल्कि सरकार के जनसंपर्क विभाग से भी विज्ञापनों के नाम पर मोटी रकम ले रहे है। पिछली सरकार की तरह ही इस सरकार में भी अन्य प्रदेशों के पत्रकारों को ज्यादा तवज्जो मिलने तथा उन्हें नियम- कायदों के बाहर जाकर भी उपकृत करने की शिकायतें आम हो चली हैं।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के गठन के बाद स्थानीय पत्रकारिता में बड़े बदलाव की आशा की जा रही थी। उम्मीद थी कि अन्य प्रदेशों से छत्तीसगढ़ आकर यहां के शासकीय अधिकारियों को ब्लैकमेल करने, अपने उलटे-सीधे कामों के लिए दबाव डालने वाले कथित पत्रकारों पर अंकुश लगेगा, लेकिन यह सिलसिला अब भी जारी है।
मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार ने ऐसे वसूलीबाज पत्रकारों पर कुछ हद तक नकेल कसी थी परंतु यह ज्यादा दिनों तक नही चल सका। पिछली सरकार में बाहरी लोगों का प्रभुत्व होने से बाहरी पत्रकारों ने खूब मलाई खाई लेकिन छत्तीसगढ़ियों की भूपेश सरकार से भी इसी तरह इन बाहरी वसूलीबाज पत्रकारों पर नकेल की उम्मीद की जा रही है। यह काम सिर्फ सरकार का नही है बल्कि यहां के नेताओं, ठेकेदारों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी चाहिए कि वो पत्रकारिता की आड़ में ऐसे बाहरी वसूलीबाजों पर अंकुश लगाए। बताया जाता कि इन पत्रकारों ने अपने दबदबे से राजधानी रायपुर के पाश इलाकों में बड़ी-बड़ी जमीनें, बड़े बड़े फ्लैट और करोड़ों की सम्पत्ति बना लिया है। उनकी इन गतिविधियों का खामियाजा स्थानीय पत्रकारों को भी बदनामी के रूप में भी भुगतना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़िया पत्रकार आज भी दर दर की ठोकरें खा रहा है और बाहरी मज़ा कर रहे हैं। कभी पूरे देश में अपनी उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए पहचाने जाने वाले रायपुर की छवि इनके कारण धुमिल हो रही है।
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