November 22, 2024

बाबूओं के साथ मिलकर शिक्षक ने किया सवा करोड़ का गोलमाल

0 एक दर्जन शिक्षक सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
कोरबा।
जिला शिक्षा विभाग हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। किसी न किसी बात को लेकर आए दिन चर्चा होते रहती है। जिले के शिक्षक सहित अन्य लोगों ने कुछ ऐसा तिकड़म भिड़ाया कि शासन को ही सवा करोड़ का चूना लगा दिया। जब इसका खुलासा हुआ और मामले की जांच कराई गई तो मामला सही पाया गया। अब शिक्षा विभाग ने इसकी शिकायत पुलिस से की है। इस पर पुलिस ने एक दर्जन शिक्षक सहित अन्य लोगों के खिलाफ धारा 420, 120 बी भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। मामला दर्ज होने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।
पाली ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदीबाजार के सहायक ग्रेड 3 (बाबू) ऋषि कुमार जायसवाल सहित शिक्षा विभाग के अन्य लोगों ने शासन को एक करोड़ से अधिक की राशि का चूना लगाया है। बताया जाता है कि इस राशि को डकारने के लिए पूरा गिरोह काम कर रहा था। जब मामला सामने आया और इसकी जांच उप संचालन शिक्षा विभाग से कराई गई तो मामला सही पाया गया। अब मामले की लिखित शिकायत हरदीबाजार चौकी पुलिस से की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस ने बाबू ऋषि जायसवाल, प्रभारी प्राचार्य व्यास नारायण समेत सोमनाथ भारद्वाज, सुरेंद्र पाटले, भोपाल सिंह, विक्की यादव, मनीष देवांगन, दिनेश कुमार, संजू यादव, नितेश कुमार, रतन कुमार, कृष्ण जगत के खिलाफ धोखाधड़ी व षड्यंत्र का मामला दर्ज किया है। इस मामले का पर्दाफाश पहले ही हो गया था और मामले की जांच की जा रही थी। मामला शत प्रतिशत सही पाया गया है। अब पुलिस ने इस मामले में अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। जल्द ही करोड़ों का घोटाला करने वाले शिक्षक वृत्तीय कोषालय अधिकारी सहित अन्य लोग इस मामले में जेल की हवा खानी पड़ सकती है।
0 किया गया था निलंबित
फर्जीवाड़ा सामने आने पर ऋषि को शिक्षा विभाग ने पहले ही निलंबित कर दिया था। पुलिस के अनुसार हरदीबाजार के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य के फर्जी हस्ताक्षर से कटघोरा के उप कोषालय से लगभग सवा करोड़ रुपये निकालने की शिकायत मिली थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के लिए शिक्षा विभाग ने एक टीम का गठन किया था। जांच में सरकारी खजाने से राशि निकालने को लेकर गंभीर अनियमितता सामने आई है। इसे देखते हुए संयुक्त संचालक बिलासपुर को अवगत कराया गया। बिलासपुर स्थित कार्यालय के आदेश पर विशेष टीम बनाकर इस मामले की जांच शुरू की गई। इसमें कई प्रकार की गंभीर अनियमितता सामने आई।

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