November 8, 2024

संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में उमड़ रही आस्था

0 मित्रता करनी हो तो श्री कृष्ण से सीखें : नूतन पांडेय
कोरबा।
मित्रता करनी हो तो भगवान श्री कृष्ण से सीखें, जिन्होंने दो मु_ी चावल के बदले सुदामा को दो लोकों का स्वामी बना दिया। वहीं स्वाभिमानी महान ब्राम्हण सुदामा ने भी बाल्यकाल में श्रापित चने को कृष्ण से छिपाकर स्वयं खाकर पाप का अकेले भागीदार बन सच्ची मित्रता का अनूठा उदाहरण पेश कर समूचे जगत को सीख दी।
उक्त बातें ग्राम तिलकेजा से पधारे प्रख्यात कथा वक्ता पंडित नूतन कुमार पांडेय ने श्री माता कर्मा मंदिर प्रांगण बुधवारी बाजार दीपका में आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के छठवें दिवस सुदामा चरित्र कथा प्रसंग के दौरान कही। आचार्य पांडेय ने कहा कि चाहे हम कितने भी शिक्षित हों, धनवान हों, उच्च पदों पर आसीन हों मित्र के प्रति हमेशा विनम्र समभाव रखना चाहिए। आचार्य ने कहा कि ईश्वर को धन दौलत सोने चांदी से नहीं तौला जा सकता। भगवान श्री कृष्ण को उनकी अहंकारी पत्नी सत्यभामा तमाम सोने चांदी रत्नों से नहीं तौल सकीं। माता रुक्मणी ने तुला में तुलसी के पत्ते रखा तो पलड़ा भारी पड़ गया। सत्यभामा का सामंतक मणी से प्राप्त होने वाले धन का अहंकार टूट गया। भगवान को सिर्फ सती वृंदा रूपी तुलसी से ही तौला जा सकता है। आचार्य पांडेय ने कहा कि ब्राम्हणों की रक्षा निमित्त भगवान वासुदेव जिस अभिमानी जरासंध को 17 बार पराजित कर चुके थे अठारहवें बार हार मानकर चल गए। रणछोर कहलाना स्वीकार किए। आचार्य ने कृष्ण सुदामा चरित्र का संगीतमय वर्णन किया। इस दौरान कृष्ण-रुक्मणी, सुदामा की मनोहारी झांकी निकाली गई। शशि गुरुवारिन जायसवाल के सुपुत्र कमल कृष्ण बने। मधुसूदन राधा जायसवाल के सुपुत्र शिवम जायसवाल रुक्मणी बने तो वहीं नागेश्वर माला सिंह के सुपुत्र विष्णु ने सुदामा का किरदार निभाया। आचार्य पांडेय ने कहा कि हम सभी को भी ऐसी ही मित्रता निभानी चाहिए। विपत्ति में पड़े मित्र की ऐसी सहायता करें कि उनको संकट के निवारण का आभास कराए बगैर उनकी विपत्ति दूर कर दें।

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