November 8, 2024

ईरफ के गौठान समिति समेत नोडल अधिकारी व सरपंच-सचिव आए हरकत में, बता रहे सब ठीक

0 मीडिया में मामला आने के बाद आनन-फानन में किया गया व्यवस्था दुरुस्त
कोरबा (पाली)।
राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा व बाड़ी के अंतर्गत आने वाला ईरफ का गौठान प्रोजेक्ट देखरेख के अभाव में बदहाल हो चला था। लाखों खर्च कर बनाए गए इस गौठान की ओर गौठान समिति और नियुक्त नोडल अधिकारी की अनदेखी व सरपंच-सचिव की निष्क्रियता से गौ वंश की जगह भैंसों ने कब्जा जमा रखा था। लगाए गए पौधे भी पानी के अभाव में सूख गए और पूरा गौठान अस्त-व्यस्त हो चला था। मवेशी मालिक भी गौठान की बेहाल हालत को लेकर जिम्मेदारों को कोसते रहे। मीडिया में मामला सामने आने के बाद जवाबदार वर्ग हरकत में आए व आनन-फानन में मौके पर पहुंच व्यवस्था में सुधार लाकर अब सब कुछ ठीक-ठाक होना बताया जा रहा है।
जिले में सर्वाधिक पशुधन गांवों में ही है और कई ग्राम पंचायतों में गौठान योजना फलीभूत हो रही है। पाली विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पंचायत ईरफ में विगत हरेली तिहार के अवसर पर 1 अगस्त 2019 को पाली-तानाखार विधायक मोहितराम केरकेट्टा के हाथों गौठान निर्माण का शुभारंभ किया गया। तत्कालीन सरपंच सुरेंद्र तंवर के कार्यकाल में लाखों रुपये से यहां के गौठान को मूर्तरूप दिया गया और सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त होने के कारण मवेशी मालिक भी इस गौठान की सराहना करते नहीं थकते थे। यहां नियमित मवेशियों का आना, गोबर खरीदी बिक्री शासन- प्रशासन की मंशा अनुसार परस्पर संचालित होता रहा। गत 2020-21 के पंचायत चुनाव में ईरफ से सरोज कुमार धनवार सरपंच के रूप में निर्वाचित हुए, उसके बाद गौठान की व्यवस्था बिगड़ती ही चली गई। गौठान समिति व नियुक्त नोडल अधिकारी ने भी इस ओर रुचि दिखाना कम कर दिया। परिणामस्वरूप उक्त सरपंच व सचिव इंदिरा कैवर्त की निष्क्रियता से यहां का गौठान धीरे-धीरे बदहाल हो चला। प्रवेश द्वार जीर्ण-शीर्ण होने के साथ भीतर गौ वंश की जगह करीब एक दर्जन भैंस देखने को मिले। रोपित अधिकतर पौधे पानी की कमी के कारण सूख गए और उनकी सुरक्षा के लिए तार से निर्मित घेरा इधर-उधर बिखरे नजर आए। गौठान गोबर से ओतप्रोत था और टैंक में रखे गोबर सूख रहा था, जिसमें घास उग आए थे। मामला मीडिया में आने के बाद नोडल अधिकारी, गौठान समिति व सरपंच-सचिव हरकत में आए और आनन-फानन में गौठान की बदहाल व्यवस्था सुधार कर सब कुछ ठीक-ठाक होना बताया जा रहा है। लेकिन असलियत तो यहां के निवासी ही जानते हैं कि ग्राम के गौठान व्यवस्था को लेकर जिम्मेदार कितने गंभीर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान सरपंच कार्यकाल में गौठान का बुरा हाल है, जिसके कारण वे अपने मवेशियों को गौठान नहीं भेजते, क्योंकि गौठान में रखा पैरा भी यहां आने वाले जनप्रतिनिधियों, उच्चाधिकारियों और बाहरी लोगों को दिखाने के लिए है, मवेशियों के खाने के लिए नहीं।
0 मानदेय के नाम पर पंचायत मद से निकाले गए हजारों रुपये
यहां के सरपंच सरोज कुमार धनवार व सचिव इंदिरा कैवर्त ने मिलीभगत कर पंचायत के निवासियों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की आड़ में पंचायत मद के लाखों की राशि का बंदरबांट किया है। पंचायत व गौठान चपरासी मानदेय के नाम पर मूलभूत और 14वें वित्त मद से हजारों की राशि निकाली गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार गौठान चपरासी दिलबोध धोबी को मानदेय देने के नाम पर वाउचर तिथि 13 अक्टूबर 2020 को मूलभूत से 10 हजार व 29 जून 2021 को 14वें वित्त मद से 6 हजार की राशि आहरित की गई। इसी प्रकार पंचायत भवन चपरासी मानदेय हेतु मूलभूत मद से बाउचर तिथि 17 सितंबर 2020 को 5 हजार, 13 अक्टूबर 2020 को 5 हजार, 13 नवंबर 2020 को 5 हजार, 15 फरवरी 2021 को 5 हजार, 29 जून 2021 को 6 हजार व 14वें वित्त से 9 जून 2021 को 5 हजार की राशि निकाली गई है। इस प्रकार पंचायत के मद से कुल 47 हजार रुपये का आहरण सरपंच-सचिव ने किया, लेकिन गौठान व पंचायत चपरासी को उक्त राशि का आधा भी भुगतान नहीं किया गया और अधिकतर का बंदरबांट कर लिया गया।

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