November 7, 2024

एसईसीएल की बसाहट नीति पर विरोध का अडंगा

0 बस्तीवासियों के विरोध के कारण काम है बंद
कोरबा।
कोयला उत्पादन क्षमता बढ़ाने मेगा प्रोजेक्ट खदानों के माइंस की विस्तार नीति से प्रभावितों को बसाहट देने की चुनौती बनी हुई है। एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन ने खम्हरिया बस्ती की खाली जमीन पर बसाहट देने की योजना से खेतों को समतल करा रही थी। इसका बस्तीवासियों ने विरोध किया और अपनी मांगों को प्रबंधन के समक्ष रखा। बावजूद इसके भू-विस्थापितों की मांगों की अनदेखी करते हुए जबरन समतलीकरण का कार्य कराया जा रहा था।
एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन द्वारा खदान विस्तार से प्रभावित खोडरी और पाली के प्रभावितों को बसाहट देने खम्हरिया में लगभग 25 बरस पहले अधिग्रहित जमीन का समतलीकरण का कार्य कराया जा रहा था। यहां के भू-विस्थापितों के विरोध के बावजूद काम जारी रखने पर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने नाराजगी जाहिर की थी। उसके बाद से अब समतलीकरण का काम 6 दिन से बंद है। एसईसीएल प्रबंधन भू-विस्थापितों को मनाने में जुटी है। इस मामले में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने खम्हरिया पहुंचकर एसईसीएल अधिकारियों की बैठक ली थी। भू-विस्थापितों की मांगों को पूरा किए बगैर समतलीकरण कार्य पर नाराजगी जाहिर की। इसके बाद से प्रबंधन हरकत में आया और अब भू-विस्थापितों को मनाने में जुट गई है। उम्मीद है कि भू-विस्थापितों व एसईसीएल प्रबंधन के बीच जल्द बैठक हो सकती है। भू-विस्थापितों की ओर से रोजगार के पुराने लंबित प्रकरणों में रोजगार, बस्ती के बेरोजगार युवाओं को माइंस के ठेका कंपनियों में नौकरी, मंगल भवन के निर्माण की मांग शामिल है।

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