एक कमरे में लग रही दो कक्षा, अध्ययन-अध्यापन में दिक्कत
0 एसईसीएल निर्मित अतिरिक्त भवन की हालत जर्जर, पुराना स्कूल भी खस्ताहाल
कोरबा। शिक्षा व्यवस्था और सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार काफी कवायदें कर रही है, लेकिन स्थानीय स्तर पर विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता और अदूरदर्शिता के कारण अध्ययन-अध्यापन में बच्चों सहित विद्यालय स्टाफ को काफी दिक्कतों का सामना अनेक क्षेत्रों में करना पड़ रहा है। कई बार आवेदनों के बाद भी इसके सुधार के प्रति सकारात्मक रवैया नहीं अपनाया जा रहा है जिससे शिक्षा का बेहतर माहौल न तो विद्यार्थियों को मिल रहा है और न ही शिक्षकों को।
एक ऐसा ही मामला कटघोरा विकासखंड के अंतर्गत प्राथमिक शाला चुनचुनी (गेवरा बस्ती) का है। यहां विभाग की ओर से निर्मित कराए गए पुराने भवन में विद्यार्थी शिक्षा अर्जन कर रहे हैं। कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक यहां करीब 53 विद्यार्थियों को एक प्रधान पाठक और एक शिक्षिका अध्यापन करा रहे हैं। भवन की स्थिति जर्जर होने के कारण दो कमरे और एक हॉल में ही बच्चों को बिठाने लायक थोड़ा बहुत जगह है, जहां काम चलाया जा रहा है। वैसे तो इन दोनों भवनों की भी हालत ठीक नहीं है, लेकिन दूसरी कोई व्यवस्था नहीं होने से किसी तरह एक कमरे में दो कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है। कक्षा पहली के 12 बच्चों को हॉल में बिठाया जाता है, तीसरी के 15 और चौथी के आठ बच्चों को तथा दूसरी के 10 और पांचवी के 12 बच्चों को एक साथ एक-एक कमरे में बिठाया जा रहा है। एक ही समय में दोनों कक्षाओं की पढ़ाई कराई जाती है। यहां दूसरी सुविधाएं और व्यवस्थाएं तो ठीक-ठाक हैं, लेकिन बच्चों के लिए अलग से और बेहतर कमरों की आवश्यकता जरूर बनी हुई है।
0 एसईसीएल भी मुंह फेर रहा है
हमारे स्थानीय संवाददाता ने बताया कि इस विद्यालय के निकट ही एसईसीएल ने दो कमरों का निर्माण वर्ष 2005-06 में कराया था, लेकिन यह भी क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण बिठाने लायक नहीं रह गया है। एसईसीएल को इस संबंध में मांग पत्र दिया जा चुका है। प्रबंधन की ओर से मौके पर जाकर करीब तीन माह पहले आवश्यक नाप-जोख भी कर ली गई। टूटे हुए अहाता और थोड़ा बहुत टूटे बाथरूम को भी निर्माण के प्रस्ताव में रखा गया है। करीब 3.50 लाख रुपये की स्वीकृति इस निर्माण के संबंध में होना बताया जा रहा है, लेकिन अपरिहार्य कारणों से या किसी के गलत जानकारी देखकर गुमराह करने के कारण एसईसीएल ने यहां पर काम शुरू नहीं कराया है। तीन माह पहले किए गए नापजोख के बाद अगर काम शुरू कर दिया जाता तो संभवत: आज विद्यार्थियों को बैठने के लिए सुविधायुक्त दो कमरे जरूर मिल गए होते और काफी आसानी शैक्षणिक गतिविधियों में स्कूल स्टाफ को भी होती।