दीवाली की तैयारियां जोर-शोर से शुरू, रंगाई-पुताई में लोग व्यस्त
0 कामगारों की बढ़ी मांग, बाजार में रौनक
कोरबा। दशहरा के बाद अब शहरी, उपनगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में दीवाली की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है। लोग अपने मकानों, दुकानों की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई में भी व्यस्त हो गए हैं। इन दिनों पुताई कामगारो की मांग भी बढ़ गई है। बाजार में भी रौनक बढ़ गई है।
घरों के द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। रंगों को विभिन्न आकृतियों में भरा जाता है। रंगोली को शुभ माना जाता है। रंगोली को आकर्षक और सुंदर बनाने में विभिन्न उपकरणों का प्रयोग किया जाने लगा है। इसका बाजार भी सजने लगा है। दीपावली में मिट्टी के दीये का अपना अलग ही महत्व है। कुम्हारों के बनाये गये मिट्टी के दीये नगर के सप्ताहिक बुधवारी, मुड़ापार, इतवारी व हटरी बाजार पहुंच रही है। इनका उपयोग लक्ष्मी पूजा के साथ घर को रौशन करने के लिए किया जाता है। पूजा-पाठ में मिट्टी के दीयों का अपना अलग महत्व है। इसे पवित्र माना जाता है। हालांकि आधुनिकता के दौरान में रौशनी के लिए विद्युत झालर, बल्ब आदि का उपयोग व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है। दूसरी ओर अपनी पवित्रता व पारंपरिक ढंग से पूजा-पाठ के लिए मिट्टी के दीये ही आवश्यक होते हैं। इसके चलते दीयों ने अपनी उपयोगिता बरकरार रखी है। इसके चलते कुम्हारों की आजीविका भी चल रही है। मिट्टी का दीया बनाने में जितने साधन व श्रम शक्ति लगती है उसके अनुरूप लाभ कम है। महंगाई के दौर में आज भी 10 रुपये के पांच से सात दीये मिलते हैं। इसके चलते कुम्हारों की आमदनी सीमित हो जाती है, लेकिन पारंपरिक व पारिवारिक व्यवसाय के चलते चाहते हुए भी इससे अलग नहीं हो पा रहे हैं। बहरहाल बाजार में कुम्हार दीये लेकर बेचने के लिए आने लगे हैं।
0 शहर बारूद के ढेर पर, लगातार हो रही कार्रवाई
दीपावली आते ही जिले में अवैध पटाखों का कारोबार शुरू हो गया है। जिला मुख्यालय बारूद के ढेर पर है। घनी आबादी में बेखौफ आतिशबाजी का भंडारण किया जा रहा है। यह आतिशबाजी दीपावली पर खपाने के लिए शहर में अवैध रूप से भंडारण किया जा रहा है, जिस पर पुलिस कार्रवाई भी देखने को मिल रही है। लगातार अवैध रूप से संग्रहित पटाखे को पकड़ा जा रहा है।