भाईदूज के तीसरे दिन से शुरू होगा छठ महापर्व
0 नहाय खाय से होगी पर्व की शुरुआत, पूर्वांचल वासियों में उत्साह
कोरबा। आस्था और उपवास का छठ पर्व भाईदूज के तीसरे दिन से शुरू होता है। छठ पर्व में सूर्य देव के अलावा छठी माता की पूजा की जाती है। यह एक ऐसा त्योहार है, जिसमें उदयांचल सूर्य के अलावा अस्ताचल सूर्य की भी पूजा की जाती है। छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके बाद खरना होता है। खरना के बाद अगले दिन व्रत रहने के बाद शाम को संध्या को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर तक चलेगी। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे तक व्रत रखेंगे और इस दौरान पानी भी ग्रहण नहीं करेंगे।
बिहार का यह प्रमुख त्योहार है। कोरबा में रहने वाले बिहारी इस पर्व को प्रमुख रूप से मनाएंगे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ सूर्य देवता की बहन है। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति व धन धान्य से संपन्न करती हैं। 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ पर्व की शुरुआत होगी। 18 नवंबर खरना के दिन महिलाएं व्रत रखेंगी। 19 नवंबर को छठ माता के पूजन के साथ ही संध्या के समय महिलाएं अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देंगी। 20 नवंबर को उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद निर्जला व्रत का परायण कर व्रत खोला जाएगा।
0 पूजन सामाग्री की हो रही खरीददारी
छठ पूजा का प्रसाद ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा, चावल का बना लड्डू सूर्य को अर्घ देते समय यह प्रसाद सूपा में रखते हैं। छठ पूजा सामग्री बांस की दो-तीन डलिया, सूपा, लोटा, थाली, दूध, जल, नए वस्त्र, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, गन्ना, शकरकंद, हल्दी, अदरक, नाशपाती, नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कपूर, चंदन, मिठाई, कलावा आदि की पूछ परख हो रही है।
0 छठ घाटों की शुरू हुई साफ सफाई
पूर्वांचल का मुख्य त्योहार सूर्योपासना का महापर्व छठ 17 से 20 नवंबर तक मनाया जाएगा। इसमें पूजा के लिए लोग नदी, तालाबों में पहुंचते हैं। इसे देखते हुए सोमवार को क्षेत्र के लोगों ने राममंदिर के समीप स्थित नदी पर बने छठ घाट की साफ-सफाई की। इसके लिए एके सिन्हा ने अपनी पोकलेन मशीन उपलब्ध करायी। छठ घाट की सफाई के दौरान पूर्वांचल सर्व समाज के संरक्षक महापौर राजकिशोर प्रसाद, जिलाध्यक्ष अवधेश सिंह व उनकी टीम बालकोनगर छठ घाट पहुंचकर व्यवस्था देखी।